समय से पहले बन्द हो जाते आरोग्य मन्दिर के ताले आखिर कैसे हो मरीजो का इलाज

बाराबंकी : केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक तरफ जहां भरकस प्रयास किये जा रहे हैं तो वहीं गांवों में भारी भरकम लागत से बने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का बुरा हाल है, यहां पर तैनात डॉक्टरों का देर से आना जल्दी जाना मानों शगल बन गया है। मंगलवार को जब पड़ताल की गई तो विकास क्षेत्र मकनपुर गांव में बनें आयुष्मान आरोग्य मंदिर में ताला लटक रहा था।

भाजपा सरकार गरीबों के उत्थान लिए तमाम योजनाएं संचालित करने का दावा करती रही है, ऐसी ही एक योजना आयुष्मान भारत है, जिसका शुभारंभ वर्ष 2018 में हुआ था, इस योजना में लोगों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का प्रावधान है। इसी योजना का नाम बदलकर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया। इसी के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलकर आरोग्य परम् धनम् यानी आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया गया। इस मंदिर में पुजारी नहीं बल्कि डॉक्टर होते हैं, जो गरीबों का मुफ्त में इलाज करते हैं, लेकिन इसके विपरीत बुधवार को जब हमारे संवाददाता द्वारा तहसील हैदरगढ़ के विकास क्षेत्र त्रिवेदीगंज की ग्राम पंचायत मकनपुर में बने आयुष्मान आरोग्य मंदिर की पड़ताल की गई तो शाम 3 बजकर 42 मीनट पर अस्पताल में ताला लटक रहा था, डॉक्टर नदारत थे। जबकि आयुष्मान आरोग्य मंदिर के खुलने का समय सुबह 10:00 से शाम 4:00 बजे तक है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए तमाम प्रयास किया जा रहे हैं सरकार की मंशा है कि गांव में ही मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का निर्माण कराया गया है। सरकार की इन सारी कवायदों के बाद भी गांवों में बने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनात डॉक्टरों की कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो रहा है अस्पताल में देर से आना और जल्दी जाना मानों इनकी आदतों में शुमार हैं। जिसकी वजह से सरकार की जो की जो मंशा है वह परवान नहीं चढ़ पा रही है और मरीजों इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर मकनपुर में जो डॉक्टर तैनात हैं आपके पहुंचने के आधे घंटे पहले अस्पताल बंद कर जा चुकी है। फिलहाल चाहे जो भी कुछ हो गांव में बने आयुष्मान आरोग्य मंदिर में स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई सुधार होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है इसको लेकर जिम्मेदार भी पूरी तरह से उदासीन बनें हुए हैं।जब सीएचसी अधीक्षक हरप्रीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया मामला हमारी जानकारी में नही है अगर ऐसा हुआ है तो जांच कर कार्यवाही की जाएगी।

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