‘The more donation one gives, the more respect he gets’… New rules made in Kashi Vishwanath Temple administration

‘जो देगा जितना दान, उसका उतना सम्मान’… काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन में बनाई नई नियमावली

श्री डेस्क : काशी विश्वनाथ मंदिर में दान देने वाले दानदाताओं का मंदिर प्रशासन सम्मान करेगा. मंदिर प्रशासन ने कहा कि दानदाता शिवभक्तों को वीवीआईपी कहना ठीक नहीं है. विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने दानदाताओं को सम्मानित करने की नियमावली भी बनाई है.

वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने दानदाताओं को सम्मानित करने के लिए नियमावली बनाई है. हालांकि दानदाताओं को सम्मानित करने की पुरानी परंपरा रही है. नियमावली में ये तय किया गया है कि पांच हजार से एक लाख रुपए तक का दान देने वाले दानदाताओं को मंदिर प्रशासन की तरफ से धन्यवाद पत्रक, प्रसाद, रुद्राक्ष की माला और भस्म दिया जाएगा. एक लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक का दान देने वालों को मंदिर प्रशासन की तरफ से धन्यवाद पत्रक, प्रसाद, रुद्राक्ष की माला और भस्म दिया जाएगा. साथ ही मंदिर प्रशासन साल में एक बार उनको निःशुल्क विशेष पूजा की व्यवस्था कराएगा.

11 लाख और उससे ऊपर के दानदाताओं को मंदिर प्रशासन की तरफ से धन्यवाद पत्रक, प्रसाद, रुद्राक्ष की माला और भस्म दिया जाएगा. साथ ही 10 साल तक मंदिर प्रशासन साल में एक बार उनको निःशुल्क विशेष पूजा की व्यवस्था कराएगा. मंदिर प्रशासन के सीईओ विश्व भूषण मिश्रा ने टीवी9 से खास बातचीत में बताया कि दानदाताओं को धन्यवाद देने का ये एक तरीका है. साथ ही दान को सकारात्मक रूप से बताने का ये तरीका भी है.

इसको VVIP कहना ठीक नहीं है, क्योंकि दानदाता VVIP नहीं बल्कि शिवभक्त हैं और श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में भक्त-भक्त के बीच अंतर नहीं किया जा सकता. मंदिर प्रशासन दान के पैसों से गौशाला, विद्यालय और रोगियों के खाने-पीने की व्यवस्था करता है.

प्रसाद निर्माण के लिए बनेगी नई व्यवस्था
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद प्रसाद बनाने के लिए नई व्यवस्था बनाने जा रहा है. मंदिर प्रशासन के सीईओ विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि व्यवस्था में एक केंद्रीय प्रसाद निर्माण व्यवस्था होगी, जिसमें कोई एक ही एजेंसी शुद्ध सात्विक एवं पवित्र वातावरण में प्रसाद का निर्माण कराएगी.

अभी वेंडर के माध्यम से प्रसाद बनाने का टेंडर होता है और नियमित रूप से उसकी जांच की जाती है, लेकिन अब जल्दी ही प्रसाद बनाने की नई व्यवस्था बनेगी. प्रसाद बनाने वालों को स्नान ध्यान कर बाबा विश्वनाथ की पूजा करने के बाद ही प्रसाद बनाने की अनुमति होगी. प्रसाद बनाने की लगातार मंदिर प्रशासन की तरफ से निगरानी होगी.

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