आदर्श जलाशय में पानी की जगह उड़ रही धूल
शिवगढ़,रायबरेली : लाखों रुपए खर्च कर गांवों में बनवाए गए आदर्श जलाशय खुद एक-एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। शुरू से ही मानकों की अनदेखी से अपवाद को छोड़ किसी भी गांव में कोई ऐसा आदर्श जलाशय नहीं है जिसमे पानी भरा हो। नगर पंचायत के साथ ही क्षेत्र की 36 ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए की लागत से मनरेगा द्वारा आदर्श जलाशय बनवाए गए थे जो पानी के अभाव शोपीस बनकर लोगों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। भीषण गर्मी में जलाशयों में पानी की जगह धूल उड़ रही है।
तकरीबन सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा से लाखों रुपए खर्च कर आदर्श तालाब बनवाए गए थे किंतु खाऊ कमाऊ नीति और धन के बन्दरबांट के चलते इनके निर्माण में शुरू से ही मानकों की अनदेखी की गई। शायद यही वजह रही कि ज्यादातर आदर्श जलाशयों में न बोरिंग की गई और न ही उनमें पानी ही भरा जा सका फलत: वे अपनी पहली वर्षगांठ भी ठीक से नहीं मना पाए और स्वयं एक-एक बूंद पानी को तरस गए। अपवाद को छोड़कर ज्यादातर आदर्श जलाशयों में इन दिनों धूल उड़ रही है।
शुरू से ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े आदर्श जलाशय पशु पक्षियों के लिए सफेद हाथी बने उनका मुंह चिढ़ा रहे हैं। गांव के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि इनसे अच्छे तो पहले की वे ताल तलैया थी जिनमें साल के बारहों महीने पानी भरा रहता था जो पशु पक्षियों के पीने के अलावा गांव में आग लगने पर आग बुझाने के काम तो आता था। अब जब से ये ताल आदर्श जलाशय बना दिए गए तब से न इनमें पानी रहता है और न ही साफ सफाई, बरसात को छोड़कर शेष दिनों में इन तालाबों में धूल ही उड़ती रहती है।
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