ईश्वर सर्व विद्यमान है ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और भाव होना चाहिए : बाल व्यास कृष्ण मोहन कान्हा

शिवगढ़,रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के बैंती बाजार स्थित पंचायत भवन प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को 8 वर्षीय बाल व्यास कृष्ण मोहन कान्हा  ने अपनी अमृतमयी वाणी से श्रीमद्भागवत कथा का बखान करते हुए कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नही।

लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा का बड़े ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। जिसके पश्चाताप में वे शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देता है।

श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वाल व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र को प्राप्त किया था। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन और रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया है। भागवत कथा के श्रोताओं के अन्दर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है। उन्होंने कहा कि मन में ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और भाव होना चाहिए, ईश्वर की प्राप्ति के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने उदाहरण के माध्यम से समझाते हुए कहा कि मन में अगर संगम में स्नान करने की श्रद्धा है और वहां जाने में असमर्थ हैं तो मां गंगा, जमुना, सरस्वती अथवा संगम का स्मरण करके सच्चे भाव जहां है वहीं स्नान कर लें, संगम का फल अवश्य मिल जाएगा। बाल व्यास कृष्ण मोहन कान्हा  के मुखर बिन्दु से श्रीमद्भागवत कथा सुनकर मौजूद श्रोता भावविभोर हो गए। इस मौके पर आयोजक सुरेश जायसवाल, रिंकू जायसवाल, मायाराम रावत, हरिओम जायसवाल, हरिज्ञान जायसवाल सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद।

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