Villagers came forward to save the existence of the pond associated with faith

आस्था से जुड़े तालाब के अस्तित्व को बचाने के लिए आगे आए ग्रामीण

आपस में चंदा जुटाकर शुरू किया सफाई अभियान

शिवगढ़,रायबरेली : शासन से मदद नहीं मिली तो ग्रामीणों एवं श्रद्धालुओं ने आस्था से जुड़े सगरा का अस्तित्व बचाने के लिए आपस में चंदा जुटाकर प्राचीनकालीन तालाब की सफाई शुरू करा दी है जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। गौरतलब हो कि क्षेत्र के गूढ़ा गांव में स्थित श्री लग्गूवीर बाबा का प्राचीनकालीन मन्दिर सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र बना हुआ है। जहां हर बुधवार को आस्था का सैलाब उमड़ता है। बताते हैं कि मन्दिर की स्थापना के समय से ही मन्दिर के सामने बना विशाल तालाब जो कभी एक पवित्र सगरा हुआ करता था। मन्दिर के जीनों के पास से सगरा में उतरने के लिए बनी सीढ़ियों से श्रद्धालु सगरा में उतरकर उसी में स्नान करते थे और स्नान करने के बाद सगरा से जल भरकर लग्गूवीर बाबा के मन्दिर में जलाभिषेक करते थे। समय के बदलते चक्र में आस्था से जुड़े इस तालाब में गांव से कुदाई गई नालियों के दूषित पानी व अतिक्रमण ने इसके स्वरुप को बदल कर रख दिया। जिसका जल दूषित होने के बाद श्रद्धालु कुएं से जल भरकर जलाभिषेक करने लगे किन्तु शायद यह लग्गूवीर बाबा को मंजूर नहीं था कभी हजारों श्रद्धालुओं की प्याज बुझाने वाला पवित्र कुआं देखते ही देखते सूख गया। जिसके बाद श्रद्धालु देशी नल, फिर इण्डिया मार्का हैण्डपम्प से जल भरकर मन्दिर में जलाभिषेक करने लगे। वर्तमान समय की यह स्थिति है इण्डियामार्का हैंडपम्प भी दूषित पानी देने लगा है। प्राचीनकालीन इस तालाब के अस्तित्व को बचाने के लिए आगे आए गांव के ही राजकुमार चौधरी,पूर्व प्रधान रामहेत रावत, सत्य प्रकाश, जंग बहादुर, प्रधान प्रतिनिधि अंकित वर्मा, बब्बू मौर्या, मंदिर के पुजारी महन्त पूर्णमासी, जंगबहादुर आदि लोगों ने ग्रामीणों एवं श्रद्धालुओं के सामूहिक सहयोग से जलकुम्भी व जेसीबी मशीन से तालाब की सफाई शुरू करा दी है। जेसीबी से तालाब के किनारे-किनारे ऊंची खाई बनाई जा रही है ताकि दूषित पानी तालाब में ना आ सके। राजकुमार चौधरी ने बताया कि आस्था से जुड़े इस तालाब को फिर से सागरा के रूम में देखने का सपना है, जिसमें ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिल रहा है।

मन्दिर के पुजारी पूर्णमासी बताते हैं कि यह तालाब श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है, जिसमें पूण्य की लालसा से श्रद्धालु स्नान करते थे, और इसी से जल भरकर मन्दिर में जलाभिषेक करते थे।

पूर्व प्रधान रामहेत बताते हैं कि लग्गूवीर बाबा के मन्दिर में आने वाले श्रद्धालु सगरा के किनारे बैठकर अपने बच्चों का मुण्डन संस्कार कराते थे तथा गृहस्थ जीवन में उत्पन्न दोष को दूर करने के लिए सगरा में तैरने वाली मछलियों को दाना चुराने थे।

राजकुमार चौधरी, क्षेत्र पंचायत सदस्य जंग बहादुर ने बताया कि लग्गूवीर बाबा के मन्दिर की स्थापना के समय से बना यह सगरा किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं था, श्रद्धालुओं ने जिसे पहले जैसा स्वरूप देने का संकल्प लिया है।

प्रधान प्रतिनिधि अंकित वर्मा ने बताया कि यह तालाब कभी सूखता नहीं है, जिसके चलते मनरेगा योजना अथवा अमृत सरोवर योजना से इसे नहीं जोड़ा जा सका। गांव का दूषित पानी नाले में कुदा दिया गया है,बारिश बाद अमृत सरोवर योजना से इसका सौंदर्यीकरण कराने लिए अधिकारियों से मांग की जाएगी।

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