मानिला में है उत्तराखंड के देवी देवताओं का संग्रहालय, घने जंगलों के बीच विराजमान हैं अपार ‘शक्तियां’
श्री डेस्क : अल्मोड़ा के सल्ट में देवदार और चीड़ के घने जंगलों के बीच ऊंची चोटी में स्थित मां मानिला देवी मंदिर है. वर्ष 1488 में कत्यूरी राजा ब्रह्मदेव ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर में काले पत्थर से निर्मित दुर्गा माता और भगवान विष्णु की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर के पास ही उत्तराखंड के प्रमुख लोक देवी देवताओं का संग्रहालय बनाया गया है.
रामनगर: हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड पवित्र गंगा, यमुना, सरस्वती समेत अनेक नदियों का उद्गम स्थल है. उत्तराखंड भगवान शिव का ससुराल है और गणपति भगवान का ननिहाल है. उत्तराखंड में बदरीनाथ-केदारनाथ, गंगोत्री-यमुनोत्री धाम मंदिर हैं. उत्तराखंड में ही पंच बदरी, पंच केदार और पंच प्रयाग भी स्थित हैं. इसके अलावा भी उत्तराखंड में कई शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर हैं, जिनकी कई अलौकिक कथाएं हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड को देवों की भूमि अर्थात देवभूमि भी कहा जाता है. इन देवी देवताओं का अल्मोड़ा में एक संग्रहालय बनाया गया है. खास बात है कि संग्रहालय पानी के टैंक के ऊपर बना है.
अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में शक्तिपीठ मां मानिला देवी मंदिर स्थित है
अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में शक्तिपीठ मां मानिला देवी मंदिर स्थित है. मंदिर के पास ही एक हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा का देवी-देवताओं का संग्रहालय बनाया गया है. जिसमें उत्तराखंड में 15 लोक देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. साथ ही उनके बारे में जानकारी दी गई है. खास बात है कि ये संग्रहालय 2 लाख लीटर वाले पानी के टैंक ऊपर बना है.
शक्तिपीठ मानिला देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष नंदन सिंह मनराल का कहना है कि जल सबसे पवित्र माना जाता है. जल के ऊपर ही अगर उत्तराखंड के लोक देवी देवताओं की स्थापना की जाए तो यह अपने आप में अच्छा संयोग है. इस संग्रहालय को बनाने का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति, साहित्य, पुराने रीति रिवाज, मान्यताओं को यथा स्वरूप प्रदान करना है. उनको स्थापित किए जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हमारे पूर्वजों, लोकदेवताओं को जान सकें. इसीलिए इन 15 प्रमुख लोक देवी देवताओं की स्थापना की गई है और कुछ जानकारी दी गई है.
न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज
गोल्ज्यू देवता को कुमाऊं के सुप्रसिद्ध न्यायकारी लोक देवता कहा जाता है. इन्हें विलक्षण शक्ति संपन्न, उत्कृष्ट गुणों से युक्त घर-घर में पूजा जाता है.
नरसिंग देवता: इन्हें देवभूमि के शिव अवतारी सिद्ध योगी देवता कहा जाता है. इन्हें विलक्षण चमत्कारी शक्तियों से संपन्न देवता कहा जाता है. नरसिंग देवता को संपूर्ण उत्तराखंड में सुप्रसिद्ध लोक देवता के रूप में पूजा जाता है.
मां अन्नपूर्णा (ग्वेल्देराणी):
मां अन्नपूर्णा को कृषि एवं पशुधन की देवी के रूप में पूजा जाता है. पूजा से प्रसन्न होकर सूखा और अकाल पड़ने पर बारिश बरसाती है. उत्तराखंड में देवी को विभिन्न नामों से पूजा जाता है.
श्री वधाण देवता: वधाण रूप भगवान श्रीकृष्ण का गोप रूप है. देवभूमि के विभिन्न क्षेत्रों में पशुधन देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि पशुधन पर आए कष्टों का सामान्य पूजन मात्र से निवारण होता है.
सैम देवता: सैम देवता को भगवान शंकर के अंश योगी रूप में माना जाता है. संपूर्ण कुमाऊं में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है. अद्भुत शक्ति संपन्न देवता भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं.
श्री बदरीनाथ मंदिर
चारों धामों में से एक भगवान विष्णु का मंदिर है. बदरीनाथ धाम को बैकुंठ धाम भी कहा जाता है.
नगारझण (नागार्जुन) देवता: नगारझण देवता भगवान विष्णु का पशुधन देवता के रूप में चतुर्भुज रूप है. गाय या भैंस का दुधारू होने पर पशु स्वामी द्वार देवता को दूध से स्नान कराने की परंपरा है.