राशन कार्ड सरेंडर करने के लिए चिलचिलाती धूप में भयवश लंबी लाइने….!
रायबरेली : डूबती सांसों का ख्याल करो , हो अगर जिंदा तो सवाल करो…..सवाल करो उन अधिकारियों से जिन्होंने पात्र गृहस्थी अथवा अंत्योदय राशन कार्ड जारी करते समय इन्हें जांच में पात्र पाया था राशन कार्ड जारी होने से पहले बाकायदा लेखपाल महोदय द्वारा आय प्रमाण पत्र जारी किया जाता है , राशनकार्ड ऑनलाइन प्रकिर्या से गुजरता है ।जिसके आधार पर पूर्ति कार्यालय में बैठे अधिकारी महोदय राशन कार्ड जारी करते हैं और डिजिटल इंडिया के दौर में अब तो आधार कार्ड अधिकतर बैंक खातों से लिंक है फिर चूक कहां हो रही है कि देश की भोली-भाली आम जनता सिर्फ चिलचिलाती धूप में लंबी लाइनों में लगने को मजबूर है। कभी राशन कार्ड बनवाने के लिए तो कभी सरेंडर करने के लिए जबकि राशनकार्ड धारकों को राशन सामग्री लेने के लिए भी कोटेदारों के सामने लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है। हालांकि नोटबंदी सहित अन्य मामलों में लगी लाइने भी हमेशा चर्चा का विषय रही है जिसकी चर्चा फिर कभी सही। लाकडाउन के समय आम जनता को राशन सामग्री देकर गरीबो की सरकार अब कलर टीवी , बाइक, एसी व चौपहिया वाहन जैसे यंत्रो के मालिक को अपात्रता की श्रेणी में रख रही है तो सवाल बनता है।
गौरतलब है कि जनता द्वारा चुने जनप्रतिनिधि हो अथवा सरकारे , गरीबी हटाओ का नारा देकर अब गरीबों को ही हटाने का काम कर रहे हैं । पात्र गृहस्थी हो अथवा अंतोदय राशन कार्ड धारक सरकारी चेतावनी के बाद सभी चिलचिलाती धूप में लंबी लाइनों से गुजर कर अपने-अपने राशन कार्ड सरेंडर कराने की जुगत लगा रहे हैं। लाइनों में खास बात जो देखने को मिल रही है वह यह कि भले ही सरकारी अधिकारियों को, लेखपालों को घूस की रकम खिलाकर जमींदार वह सरकारी कर्मचारी सहित धनबल वाले भी राशन कार्ड बनवाने में कामयाब रहे हैं किंतु लाइनों में सिर्फ दहशतवश सिर्फ गरीब और बेबस ही नजर आ रहे हैं । अंतोदय राशन कार्ड धारकों को अपात्र घोषित करने के लिए जहां कलर टीवी और बाइक पर्याप्त है तो वही पात्र गृहस्थी वाले दो पहिया वाहन व एसी रखने के चलते भी अपने राशन कार्ड वसूली की दहशत में सरेंडर कर रहे हैं ।भले ही दो पहिया वाहन जर्जर हालत में है किंतु सरकारी अल्टीमेटम के बाद सरेंडर की अंतिम तारीख नजदीक आते ही भय लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है ।
बेशक अपात्रों को दी गई चेतावनी सरकार का साहसिक निर्णय है सरेंडर राशन कार्ड के बाद तमाम गरीबों को इसका लाभ मिल सकता है किंतु जब मोटरसाइकिल और कलर टीवी जैसे यंत्र गाइडलाइन में राशन कार्ड धारकों को अपात्र घोषित करने लगे तो सरकार की मंशा गरीबी हटाओ के बजाय गरीबों को हटाओ वाली दिखाई देती है जिस पर सवाल तो बनता है। खैर मुर्दा सवाल नही करते अतः उनके लिए चिलचिलाती धूप में लाइनों में लगकर राशनकार्ड सरेंडर करना ही उचित होगा और जमींदार व धनबल वाले भी बिना लाइनों में लगे अपना राशन कार्ड सरेंडर करते हुए रिकवरी से बच ही जाएंगे । पर जिंदा लोगो से अपील : डूबती सांसो का ख्याल करो, हो अगर ज़िंदा तो सवाल करो…..।