गांवों में विकास की गंगा बहाने वाले अधिकारियों के आवास बहा रहे बदहाली पर आंसू

  • जर्जर, क्षतिग्रस्त एवं कबाड़खाना बन चुके ब्लाक परिसर में बने आवास
  • जिम्मेदार अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के शिकार अधिकारियों,कर्मचारियों के आवास
  • अधिकारियों,कर्मचारियों के रात में ब्लॉक मुख्यालय में ठहरने की मंशा पर फिर रहा पानी

शिवगढ़,रायबरेली। विकास का खाका खींच कर ग्राम पंचायतों में विकास की गंगा बहाने वाले ग्राम पंचायत अधिकारियों, ग्राम विकास अधिकारियों एवं अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों के जर्जर, बदहाल एवं संसाधन विहीन आवास अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, जिनकी जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर विकास का डंका पीटने वाले जनप्रतिनिधियों तक कोई सुध लेने वाला नहीं है।

गौरतलब हो कि शासनादेश के मुताबिक ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी,पंचायत सहायक पंचायत भवन में ही बैठकर कार्य करें, ग्रामीणों को ब्लॉक के चक्कर न काटने पड़े। जिसको लेकर शिवगढ़ क्षेत्र की लगभग सभी ग्राम पंचायतों में स्थित पंचायत भवन का कायाकल्प कराए जाने के साथ ही पंचायत भवनों को कंप्यूटरीकृत एवं हाईटेक बना दिया गया है। शासन की मंशानुरुप ग्राम पंचायत अधिकारियों / ग्राम विकास अधिकारियों को आवंटित की गई अपनी ग्राम पंचायतों में भ्रमण कर आवासों एवं शौचालयों और विकास कार्यों का नियमित स्थलीय निरीक्षण एवं सत्यापन करना और विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, वृद्धा पेंशन के पात्रों का चिन्हाकंन कर उनका आवेदन करवाना, मनरेगा एवं विकास कार्यों की देखरेख करना होता है।

इसके साथ ही पंचायत कार्यालय में बैठकर विभिन्न योजनाओं का अनुश्रवण एवं क्रियान्वयन करना, जन्म, मृत्यु, परिवार रजिस्टर की नकल जारी करना, मनरेगा, राज्यवित्त, केंद्रीय वित्त का भुगतान करना आदि कार्य रहते हैं।

शिवगढ़ ब्लाक में तैनात एक-एक ग्राम पंचायत अधिकारी / ग्राम विकास अधिकारी की कई ग्राम पंचायतों में नियुक्ति होने के कारण दिन भर ग्राम पंचायत अधिकारियों की भागदौड़ जारी रहती है। जिसको लेकर ग्राम पंचायत / ग्राम विकास अधिकारियों को अपनी ग्राम पंचायतों में जाने एवं वहां से लौटने के पश्चात अक्सर ब्लॉक प्रांगण में बने अपने आवास में बैठकर जरूरी काम काज निपटाना पड़ता हैं। पंचायत कार्यालयों में वाईफाई तो वर्षों पूर्व लग गया है किंतु अभी तक चालू ना होने की वजह से गांवों में ठीक तरीके से नेटवर्किंग नहीं मिल पाती है। जिसके चलते ऑनलाइन होने वाले अधिकांश काम ब्लॉक में बैठकर ही करने पड़ते हैं।

शासन की मंशा है कि ब्लॉक में तैनात खण्ड विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी,पटल सहायक, एपीओ मनरेगा के साथ ही ब्लॉक के अन्य कर्मचारी घर से अपडाउन ना करके ब्लॉक मुख्यालय एवं अपने कार्य क्षेत्र में ही रहें जिसको लेकर वर्षों पूर्व ब्लॉक परिसर में आवास बनाए गए थे। किन्तु विडम्बना है कि जहां एक तरफ ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत अधिकारियों / ग्राम विकास अधिकारियों के आवास एवं में ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है तो वहीं दूसरी ओर ब्लॉक परिसर में बने ग्राम पंचायत / ग्राम विकास अधिकारियों के साथ ही अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों के आवास जीर्ण,शीर्ण,जर्जर,क्षतिग्रस्त एवं बदहाल हो चुके हैं।

आवासों में बने शौचालय एवं स्नानगृह दरवाजा विहीन, क्षतिग्रस्त एवं कबाड़खाना बन चुके हैं, छत टपकती है और अलमारियां टूटकर गिरने लगी हैं। आलम यह है कि शुरू से ही कोई भी शौचालय एवं स्नानगृह चालू स्थित में नही है। वर्षों पूर्व ढह चुकी बाउंड्रीवॉल, गायब हो चुके खिड़कियों के पल्ले एवं दरवाजों को लगवाने एवं आवासों की मरम्मत कराना आज तक किसी ने मुनासिब नहीं समझा। पूर्व ब्लाक प्रमुख नीरज कुमारी के कार्यकाल में कुछ आवासों में क्षेत्र पंचायत निधि से कायाकल्प कराया गया था।

किन्तु उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद किसी ने जर्जर आवासों की मरम्मत एवं कायाकल्प कराने की जरुरत नही समझी। सवाल यह उठता है कि जब आवास संसाधन विहीन एवं रहने लायक ही नहीं है तो ग्राम पंचायत, ग्राम विकास अधिकारी,कर्मचारी रात में आखिर कहां रुके। जिम्मेदार अधिकारियों एवं विकास का डंका पीटने वाले जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते शासन की मंशा पर पानी फिर रहा।

क्या बोले जिम्मेदार

शिवगढ़ खण्ड विकास अधिकारी शिवकुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारियों / ग्राम विकास अधिकारियों को पंचायत भवन में बने पंचायत कार्यालय में बैठकर कार्य करना हैं। इसलिए इनके आवास निश प्रयोज्य हो चुके हैं। हालांकि ग्राम पंचायत / ग्राम विकास अधिकारी एवं अन्य अधिकारी,कर्मचारी रात में कहां रहें और अधिकारियों की ब्लाक मुख्यालय में ठहरने की शासन की मंशा कैसे पूरी होगी।इस सवाल पर वे कुछ नहीं बोले।

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