संत शिरोमणि और समाज सुधारक थे संत गाडगे महाराज – मुकेश रस्तोगी

  • विभिन्न संगठनों द्वारा संत गाडगे चौक पर मनायी गयी 148वीं जयन्ती

रायबरेली : संत गाडगे चौक में स्थापित संत गाडगे महाराज की मूर्ति पर माला पुष्प अर्पित कर समाज के विभिन्न संगठनों द्वारा 148वीं जयन्ती मनायी गयी।  सभी ने उनके द्वारा चलाये गये मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।  इस अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।  गोष्ठी को सम्बोधित करते उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मण्डल के प्रदेश संगठन मन्त्री मुकेश रस्तोगी ने कहा कि संत शिरोमणि संत गाडगे महाराज एक सच्चे समाज सुधारक थे।  एबीडीएम के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश चौधरी ने कहा कि गाँवों का विकास और उनकी दृष्टि अभी भी देश भर के कई दान संगठनों, शासकों और राजनेताओं को प्रभावित करती है।

 पूर्व डीजीसी ओपी यादव ने कहा कि संत गाडगे ने आजीवन शिक्षा, स्वास्थ और स्वच्छता के लिए कार्य किया।  सम्राट चंदगुप्त मौर्य संस्थान के महामंत्री सुशील मौर्य ने कहा कि संत गाडगे सफाई का कार्य करते थे और जो पैसा मिलता था, उसे अच्छे कार्यो में लगाते थे।  सरदार पटेल सेवा संस्था के जिला मन्त्री रोहित चौधरी ने कहा कि संत गाडगे प्राप्त धन से कई विद्यालय, धर्मशाला, अस्पताल व पशु आश्रयों का निर्माण कराया।  स्वर्णकार समाज के उपाध्यक्ष इं. दुर्गा प्रसाद स्वर्णकार ने कहा कि संत गाडगे को भारत सरकार द्वारा स्वच्छता व स्वच्छ पानी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।

जिला पाल महासभा के उपाध्यक्ष उमानाथ पाल ने कहा कि संत गाडगे के नाम पर महाराष्ट्र में संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान शुरू किया गया। ब्राहम्ण महासभा के सचिव एवं पूर्व प्रधान शोरा अशोक मिश्रा एडवोकेट ने कहा कि संत गाडगे ने गांव छोड़कर एक स्वयं सेवक के रूप में कार्य किया।  यदुवंशी महासभा के जिला सचिव संदीप यादव एडवोकेट ने कहा कि बाबा कीर्तन के रूप में कक्षाएँ संचालित करते थे।  अम्बेडकर उत्थान समिति के मंत्री सचिन कुमार अम्बेडकर एडवोकेट ने कहा कि वे कबीर के दोहों के जरिए समाज को नैतिक सबक देते थे।  दलित उत्थान समिति के उपाध्यक्ष सोनू वर्मा ने कहा कि बाबा ने मद्य निषेध अभियान चलाया।

गोष्ठी को आशीष सिंह, शीतला प्रसाद जयन्त, महराजदीन राजवंशी, रामलखन सागर, कैलाश कनौजिया, छंगालाल दिवाकर, रामनरेश चौधरी, संजय कनौजिया, जय प्रकाश जयन्त, राजेन्द्र कुमार, श्रीराम कनौजिया आदि लोगों ने सम्बोधित करते हुए संत गाडगे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

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