सन्त बाबा उमाकान्त ने बताये मरते हुए के कान में जयगुरुदेव बोलने के फायदे,इसी कलयुग में सतयुग को आना है

ओम प्रकाश श्रीवास्तव /बाराबंकी : उत्तर प्रदेश इस समय प्रभु के पूरी ताकत वाले जयगुरुदेव नाम के प्रचारक, अंत समय में जीवात्मा की संभाल करने वाले, सब तकलीफों में असरदार जयगुरुदेव नाम ध्वनि रूपी महामंत्र देने वाले, बरकत और मुक्ति-मोक्ष देने वाले, इसी कलयुग में ही सतयुग को लाने में दिन-रात लगने और लगाने वाले, मन को कण्ट्रोल में करने का तरीका बताने वाले, उपरी लोकों के नज़ारे दिखाने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 14 जून 2023 सायं देहरादून (उत्तराखंड) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में जयगुरुदेव नाम की महिमा बताते हुए कहा कि जयगुरुदेव नाम जब बोले तो जान और माल-सामान बच गया।

जयगुरुदेव नाम बोलकर कर ही (अपने घर को) छोड़ कर के आए थे। (जब सतसंग में गये हुए थे और पीछे से) चोर आया, देखा, अंदर कोई बैठा हुआ है (तो वापस चला गया, चोरी नहीं हुई)। बहुत सारी बातों को बताते हैं लोग। मरते हुए के कान में जयगुरुदेव नाम बोल दिया, मरने वाले आदमी ने आंख खोल दिया और कहा वह यमराज के दूत जो मार काट रहे, सजा दे रहे थे, सब हट गए, आराम से अब दुनिया छोड़ कर के जा रहा हूं, समय मेरा पूरा हो गया है। तो बहुत लोगों ने परीक्षा लिया। इनमें ऐसे भी लोग मिल जाएंगे जो सुबह-शाम जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलते हैं। इससे उनकी तकलीफों में कमी आ रही है। ऐसे भी मिलेंगे जिनके तकलीफें बहुत कुछ चली गई, थोड़ी ही रही। तो एक बार आप विश्वास करो। जिनके यहां कैसी भी तकलीफ बीमारी हो, लड़ाई-झगड़ा, टेंशन, रुपया-पैसा में बरकत नहीं होती है तो आप लोग जयगुरुदेव नाम की ध्वनी बोलो।

 

बरकत मुक्ति मोक्ष किसको नहीं मिलता है

 

जो जीव हत्या करते हैं, उनको बरकत नहीं मिलती है। बरकत उनकी छिन जाती है, क्रूर हो जाते हैं, स्वभाव बदल जाता है, उनको मुक्ति मोक्ष नहीं मिलता है। सारी चीजें ग्रंथों में लिखी हुई है। तो उस मालिक के जीव को दु:ख पहुंचाना अक्ष्मय, पाप होता है। और पाप की सजा भोगनी पड़ती है। नर्क में जाना पड़ता है जहां जबरदस्त मार पड़ती है, काटे, सड़ाये, गलाए जाते हैं।

 

कलयुग में ही सतयुग को आना है

 

कलयुग में ही सतयुग को आना है। लिंग पुराण के चालीसवें अध्याय में, सूरसागर में, जगन्नाथदास उड़िया किताब में लिखा हुआ है तो महात्माओं की बात कभी गलत नहीं होती है। गुरु महाराज भी बराबर कहते रहे- कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा। लेकिन सब मर ही जायेंगे तो सतयुग आकर क्या करेगा, सतयुग का आंनद कौन लेगा? इसीलिए सतयुग देखने के लायक आपको बनना और लोगों को बनाना है। सतयुग आ जाएगा तब मेहनत ज्यादा नहीं करनी पड़ेगी। केवल अपने कर्तव्य का पालन करना पड़ेगा। फिर तो किसी चीज की कमी नहीं रहेगी। और मन भी आपका स्थिर हो जाएगा, विषय वासनाओं से हट जाएगा, शक्तिशाली हो जाएगा। जैसे पहले लोग योगी विज्ञानी हुआ करते थे, ऐसे बन जाओगे, हो जाओगे।

 

ऊपर का नजारा

 

अब आपको ध्यान भजन करना बताऊंगा। जब करोगे तब अंदर में आपको कुछ दिखाई और सुनाई पड़ेगा जिसको गैबी आवाज, आकाशवाणी, अमृतवाणी, घट की आवाज, हदय की आवाज कहते हैं। स्वर्ग-बैकुंठ, देवी-देवता, इनके माता-पिता कोई दिख जाए, यह सब दिखाई पड़ेंगे। और जब ऊपर का नजारा देखोगे, बिना भूमि एक महल बना है, तामे ज्योति अपारी रे, अंधा देख देख सुख पावे, बात बतावे सारी रे। वह प्रकाशमय नगरी, प्रकाश वाला मकान जिसके जर्रे-जर्रे में लोगों ने रोशनी देखा। वहां कोई हैलोजन, ट्यूबलाइट नहीं जल रही है लेकिन प्रकाश ही प्रकाश है, कण-कण में रोशनी है, उसको जब देखोगे तब आप लोगों को बताने लगोगे। और जैसे ही बताओगे, वैसे ही वह (मालिक ये दिखाना सुनाना) बंद कर देगा। नाराजगी हो जाएगी। देखो कंगाल को हमने धन दे दिया, संभाल नहीं पाया, लुटा दिया इसलिए बताना मत। अगर बता दोगे तो बंद हो जाएगा। तब न दिखाई पड़ेगा न सुनाई पड़ेगा। फिर आपको बेचैनी, दर्द, पीड़ा होगी जैसे मीरा को होती थी। गली-गली घूमती, चिल्लाती थी, रात दिना मोहे नींद न आवे, भावे अन्न न पानी रे। कहती थी जैसे तीर जब (शरीर में) जाता है, सालता है, दर्द होता है, जैसे जिसको गोली लगती है वो तड़पता है, ऐसे ही मीरा अपनी तड़पन बताती थी। कब कहती थी? जब उस पिया की याद सताती है। जब उस पिया, पति परमेश्वर का दर्शन नहीं मिलता है तब तड़प होती है। तो बच्चे और बच्चियों! कुछ भी (अंतर साधना में) दिखाई सुनाई पड़े तो बताना मत। लोग देखते हैं, प्रैक्टिस रोज करते हैं, मन को रोक ले जाते हैं। तन मन से सांचा रहे, सतगुरु पकड़े बांह। जो तन-मन से सच्चे होते हैं उनको दिखाई सुनाई भी पड़ता है। तो मन को रोक करके, अंतरात्मा को साफ करके, अगर आप (बताई गयी साधना) करोगे तो आपको भी दिखाई सुनाई पड़ेगा क्योंकि आप प्रभु के सौतेले बेटे तो हो नहीं। आप भी असली हो। आप भी उन्हीं के अंश, उनके पुत्र-पुत्री हो तो आपको भी दिखाई सुनाई पड़ेगा लेकिन बताना मत किसी को।

 

मन मारने का मतलब क्या होता है?

 

महाराज जी ने 2 जनवरी 2023 प्रातः उज्जैन (म.प्र.) ने बताया कि कहा गया है कि मन को मारना चाहिए। मारने का मतलब क्या है? मन रहेगा नहीं तो एक जगह खाली रह जाएगी, सिस्टम ही बिगड़ जाएगा। जब तक शरीर में जीवात्मा, प्राण रहेंगे, मन भी रहेगा। वह तो हो ही नहीं सकता है कि मन मर जाये, खत्म हो जाए। मन के मरने का मतलब क्या होता है? मन के कहे करो मत कोई। मन जो कहे, उसको मत करो। मन मर जाएगा, मन इच्छा, फुरना पैदा नहीं करेगा तब आत्मा हावी हो जाएगी, बलवान हो जाएगी, आत्मशक्ति, आत्मताकत आ जाएगी।

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