रामायण हमें धर्म पर चलना सिखाती है: पंडित हरीकृष्ण पांडे
रिपोर्ट – मुन्ना सिंह
- श्रीमद्भागवत से राजा परीक्षित का जब उद्धार हो सकता है तो समस्त मानव जाति का क्यों नहीं।
बाराबंकी : प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष डॉ विवेक कुमार गुप्ता के आवास पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन हैदरगढ़ नगर के ठाकुरद्वारा वार्ड मे कथा व्यास पंडित हरीकृष्ण पांडे द्वारा महाभारत और प्रभु श्री कृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए बताया गया किस प्रकार से अधर्म पर धर्म की विजय के लिए प्रभु श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया और अपनी बुद्धिमत्ता कौशल के बल पर अधर्म पर विजय पाई और दुर्योधन का वध किया तो वही धर्मराज के रूप में पांडव में युधिष्ठिर उन्हें धर्म पर विजय पाई तो वही कौरवों में मौजूद धर्मराज के रूप में विदुर का किस तरह से अपमान करने के बाद कौरवों का संहार हुआ। प्रभु श्री कृष्ण ने बताया कि जिस तरह से चक्रव्यू के समय अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु का वध करते समय 7 योद्धाओं को अन्याय नजर नहीं आया तो ऐसे में कौरवों के समुल नाश के बाद दुर्योधन तुम किस प्रकार से आज अन्याय की बात कर रहे हो।
राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए व्यास जी ने बताया कि राजा परीक्षित द्वारा ऋषि के गले में अपनी बाण की नोक से सर्प को लपेटने के बाद ऋषि पुत्र ने 7 दिन में तक्षक नाग से डसने कर श्राप दिया तब श्रीमद् भागवत कथा शुकदेव महाराज जी ने राजा परीक्षित के उद्धार के लिए सुनाई कथा में व्यास जी ने बताया प्रभु श्रीराम कोई साधारण पुरुष नहीं थी और रामायण हमें धर्म पर चलना सिखाती है तो वही तुलसीदास जी ने कहा कि अनेक रूप प्रकटे हर काला,जाकी रही भावना जैसी, प्रभाव मूरत देखी तिन तैसी। तुलसीदास जी मथुरा में प्रभु मुरली बजाते दिखे तब तुलसीदास जी को दर्शन देने के लिए श्रीकृष्ण ने प्रभु श्रीराम के रूप में दर्शन दिए।
महाभारत में मृत्यु को प्राप्त करने से पहले भीष्म पितामह ने पांडवों को पांच उपदेश दिए राज धर्म,मोक्ष धर्म,स्त्री धर्म,दान धर्म,भगवत् धर्म के उपदेश दिए। प्रेम मीरा की प्रभु श्री राम के प्रति भक्ति भाव को वर्णन करते हुए मीरा के प्रभु श्री कृष्ण के प्रेम का वर्णन किया और बताया कि किस तरह से मीराबाई ने अपना घर बार छोड़कर वृंदावन में प्रभु श्री कृष्ण की भक्ति में मगन हो गई जिसकी धुन पर भावविभोर होकर दर्शकों ने प्रभु श्री कृष्ण की भक्ति रस में डूब कर नृत्य किया।