रायबरेली : दहेज लोभी ससुराल जनों की मार से गर्भवती महिला के पेट में मरा बच्चा मुश्किल से बची जान
रायबरेली : ताजा मामला डलमऊ थाना अंतर्गत पहनी के पूरे रजऊ का पुरवा का है जहां पर पति पति सोनू पुत्र हमीद उसका छोटा भाई मोनू पुत्र हमीद वाह महिला की सास शाहिदा ने मिलकर पीड़िता गुड़िया के साथ मारपीट की मामला प्रकाश में आया है की गुड़िया के पिता की तबीयत काफी खराब चल रही है जिसे देखने की बात गुड़िया अपने पति व सास से कह रही थी उसके पति व सास ने कहा कि दहेज में तो कुछ लेकर आई नहीं हो इसलिए तुम्हें मायके नहीं जाने दिया जाएगा पहले तुम दहेज लेकर आओ तभी तुम मायके जा सकती हो जब गुड़िया ने विनती की कि हमें एक बार अपने पिता को देखाने दो तो इसी बात को लेकर पति पति के भाई व सास ने गुड़िया के साथ मारपीट की जिससे उसके पेट में गंभीर चोट आ गई क्योंकि पेट में 7 माह का बच्चा था असहनीय दर्द होने पर गुड़िया को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.
जिला महिला अस्पताल की लापरवाही आई सामने पीड़िता की मुश्किल से बची जान
पीड़िता गुड़िया बा उसके परिजनों ने जिला महिला अस्पताल पर आरोप लगाते हुए कहां है कि हम 2 दिन से यहां पर एडमिट हैं हमारा ठीक से उपचार ही नहीं किया गया अगर पहले सही ढंग से उपचार किया जाता और समय रहते डिलीवरी करा ली जाती तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी लाख मिन्नतें करने पर भी जिला महिला अस्पताल ने सहयोग नहीं किया जिसका नतीजा रहा की बच्चे की जान नहीं बच सकी.
वन स्टॉप सेंटर के दखल के बाद मुश्किल से बची पीड़िता की जान
जब यह सूचना वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी श्रद्धा सिंह को मिली तो उन्होंने अपनी टीम के साथ जिला महिला अस्पताल पहुंच गई उन्होंने जिला महिला अस्पताल के स्टाफ से बातचीत की वह महिला की तुरंत डिलीवरी कराई गई जिससे बच्चा एकदम काले रंग का हो गया था वह पूरी तरीके से पीड़िता के पेट में ही सड़ चुका था बड़ी मुश्किल से पीड़िता की जान बचाई जा सकी पीड़िता के घरवालों ने वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी श्रद्धा सिंह व उनकी टीम को धन्यवाद दिया है.
पुलिस की निष्क्रियता भी आई सामने
इस मामले में डलमऊ पुलिस की निष्क्रियता भी सामने आई है जब पीड़िता ने 3 दिन पहले शिकायत दर्ज कराई तो अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई जब कोतवाल पंकज त्रिपाठी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की टीम को भेजा गया है और जल्द ही गिरफ्तारी कर ली जाएगी जबकि पीड़िता के तरफ से आरोप है कि आरोपियों को थाने बुलाया गया था और पता नहीं क्यों थोड़ी देर में ही उनको छोड़ दिया गया जबकि पुलिस का कहना है कि लोकेशन के हिसाब से गिरफ्तारी करने की कोशिश की जा रही है तो जब खाने बुलाकर आरोपियों को छोड़ दिया जाता है तो यह कैसा कानून है और कैसी कार्यवाही है अगर पीड़िता के घरवालों का आरोप सही है तो पुलिस की इस कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह जरूर लगता है फिलहाल पुलिस का कहना है कि आज हर हालत में आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।