सुप्रीम कोर्ट में दिए यूपी सरकार के हलफनामे पर उठे सवाल

प्रयागराज में हुई हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश में हिंसा के आरोपी जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप के घर पर पीडीए की बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा पेश किया था जिसमें कहा गया था कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने अवैध निर्माण के बारे में शिकायत मिलने के बाद जावेद मोहम्मद के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। जबकि इमारत में कार्यालय होने की जानकारी के बात कुछ असामाजिक तत्वों ने बताई थी। आपको बता दें कि पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन में आरोपी थे जावेद मोहम्मद।

हलफनामे में शिकायत को एक नोटिस के रूप में शामिल किया गया था जिसमें शिकायतकर्ताओं की पहचान सराफराज, नूर आलम, मोहम्मद आजम के रूप में की गई थी। शिकायतकर्ताओं ने अपने पते या संपर्क विवरण का उल्लेख नहीं किया, लेकिन खुद को मोहल्ले के सम्मानित लोग के तौर पर बताया है। द इंडियन एक्सप्रेस ने प्रयागराज के करेली इलाके में जे के आशियाना कॉलोनी के मोहल्ले का दौरा किया और ध्वस्त घर से 400 मीटर के दायरे में 30 निवासियों से शिकायतकर्ताओं के बारे में पूछा। उनमें से पंद्रह ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उन्हें सरकारी कार्रवाई का डर है। अन्य 15 ने अपने जवाब में कहा कि वे नहीं जानते कि शिकायतकर्ता कौन थे और उनके स्थानीय निवासी होने के बारे में कभी नहीं सुना था।

पीडीए ने जावेद को नोटिस भेजी और जवाब मांगा, कोई प्रतिक्रिया न देने पर हुआ एक्शन: पिछले महीने शिकायतकर्ताओं के दो अलग-अलग पत्रों के आधार पर पीडीए ने हलफनामे के नोटिस के मुताबिक, अवैध निर्माण पर प्रतिक्रिया मांगने के लिए दो सप्ताह के भीतर जावेद को दो नोटिस भेजे और जवाब मांगा लेकिन जावेद ने इन नोटिसों पर कोई जवाब नहीं दिया और अंत में पीडीए ने जावेद से इस नोटिस पर कोई भी प्रतिक्रिया न मिलने का हवाला देते हुए 12 जून को जावेद पंप के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। पीडीए अंचल अधिकारी अजय कुमार ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। अजय कुमार को ही हलफनामे के अनुसार शिकायत मिली थी।

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