अपने हालात पर आंसू बहा रहा सार्वजनिक शौचालय, कबाड़ हो रहे लाखो की लागत से लगे समरसेबुल व हैंडपंप
मुन्ना सिंह /बाराबंकी : पंचायती राज विभाग की ओर से संचालित सामुदायिक शौचालयों की देखरेख के नाम पर बड़ा गड़बड़झाला हो रहा है। सूरतगंज ब्लॉक के अधिकांश शौचालयों पर ताले लटके पड़े हैं लेकिन विभाग इनकी देखरेख के नाम पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को हर महीने नौ हजार रुपये प्रति शौचालय के हिसाब से आवंटित कर रहा है। गांव में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराकर भले ही स्वच्छता का हवाला दिया जा रहा हो लेकिन सुविधा के अभाव में अबतक कई सामुदायिक शौचालयों में ताला लटका हुआ है।
पानी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीणों को खुले में शौच करना पड़ रहा है। हर महीने लाखों रुपये तो खर्च हो रहे हैं लेकिन जनता को इसका कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने खुले में शौच से निजात दिलाने को ग्राम पंचायत में करीब पांच लाख रुपये की लागत से सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया था। लेकिन अब देखरेख के अभाव में अधिकांश सामुदायिक शौचालय जंगलों में तब्दील हो चुके हैं। अफसरों व पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से शौचालय के दरवाजे बंद पड़े हैं।
वहीं सूरतगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत अमेरा के पूर्व प्रधान व ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पंचायत भवन के सामने बनाए गए सामुदायिक शौचालय की शुरुआत में साफ-सफाई ठीक रही। लेकिन अब शौचालय शोपीस बना हुआ है। इस पर पूरे दिन ताला लटका रहता है। समरसेबुल खराब होने से टंकी में पानी नहीं रहता है। इसके चलते लोगों को पानी साथ लेकर आना पड़ता है या फिर मजबूरी में खुले में शौच जाना पड़ता है।
देखरेख के अभाव में चारों तरफ गंदगी की भरमार है। शौचालय की देखरेख का ग्राम निधि से भुगतान भी कराया जा रहा है लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। यह शौचालय ज्यादातर बंद ही रहता है। इस संबंध में एडीओ पंचायत ऋषिपाल सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में नही है। अगर अव्यवस्थाएं हैं तो दुरुस्त कराकर शौचालय चालू कराया जाएगा। वही खंड विकास अधिकारी प्रीती वर्मा का कहना है। कि तत्काल हैंडपंप व समरसेबुल की मरम्मत कराकर सामुदायिक शौचालय में पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से चालू कर दी जाएगी। जिससे उसका उपयोग ग्रामीण कर सकेंगे।
