कांग्रेस नेता के बोल पर मचा सियासी तूफान
डॉ. अजय कुमार ने द्रौपदी मुर्मू पर की आपत्तिजनक टिप्पणी, कहा- हमें नहीं बनाना चाहिए आदिवासी प्रतीक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. अजय कुमार ने राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी प्रतीक बताकर नए विवाद का जन्म दे दिया। उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी ने भाजपा को भी कांग्रेस के खिलाफ बैठे-बैठाए नया हथियार दे दिया है। एक एजेंसी को दिए बयान में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू भारत के सबसे खराब दर्शन (ईविल फिलॉस्फी ऑफ इंडिया) का प्रतिनिधित्व करती हैं। समाचार
एजेंसी एएनआई को दिए बयान में डॉ. अजय कुमार ने कहा कि भाजपा राज में देश में अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति बदतर हो गई है। डॉ. अजय कुमार ने कहा कि द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की कमजोर प्रत्याशी है। उन्होंने विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिंहा जिसे कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है को बेहतर बताया। कांग्रेस नेता ने कहा कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के सबसे योग्य प्रत्याशी हैं। 18 जुलाई को देश में राष्ट्रपति के लिए वोटिंग होनी है। हालांकि चुनाव में द्रोपदी मुर्मू की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। बहुत सी विपक्षी पार्टियों ने भी उनको समर्थन कर दिया है। यहां तक की महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के बावजूद शिवसेना ने भी द्रोपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस नेता के बयान के बहुत अधिक सियासी मायने नहीं रह जाते।
डॉ. अजय कुमार ने ये भी कहा कि हाथरस कांड हो या फिर इससे मिलती जुलती घटनाएं वर्तमान राष्ट्रपति ने मौन व्रत रखा। उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति की स्थिति बद से बदतर हो गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि लोगों को बेवकूफ बनाना मोदी सरकार का काम है। राष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्र की आत्मा के लिए लड़ाई बताते हुए कांग्रेस नेता डॉ. अजय कुमार ने कहा कि सभी समान विचारधारा वाले दलों को विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को वोट देना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि यह देश की आत्मा की लड़ाई है और समान विचारधारा वाले दलों को यशवंत सिन्हा को वोट करना चाहिए।
द्रौपदी मुर्मू की जीत
हालांकि द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के लिए एनडीए आवश्यक बहुमत पहले ही जुटा चुका है। डॉ. अजय कुमार के बयान के इसलिए कोई मायने नहीं रह जाते। 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद वह पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। इससे पहले वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं। ओडिशा के सबसे पिछड़े जिले के तौर पर जाना जाने वाले जिले मूयरभंज के एक गरीब आदिवासी परिवार में जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने कठिनाइयों में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की। वह राज्यपाल बनने से पहले भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय सदस्य थीं।