पारुल चौधरी 5000 मीटर दौड़ में लेंगी हिस्सा, कभी खेत में दौड़ती थी नंगे पांव, आज छू रहीं है आसमान

श्री डेस्क : पारुल के पिता कहते हैं कि कभी बेटी को घर से बाहर भेजने पर जो लोग ताना देते थे आज वह गर्व से सीना चौड़ा कर कहते हैं कि पारुल हमारे गांव की बेटी है। आज बेटी पेरिस ओलंपिक की दो प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करेंगी।

पेरिस ओलंपिक गेम्स में एथलेटिक्स इवेंट शुरू हो चुके हैं। आज मेरठ के इकलौता गांव निवासी पारुल चौधरी 5000 दौड़ इवेंट में प्रतिभाग करेंगी। रात 9:40 मिनट पर वह 5000 दौड़ इवेंट के पहले राउंड में प्रतिभाग करेंगी।

अगर पारुल चौधरी इस राउंड में क्वालिफाई कर जाती हैं, तो 5 अगस्त रात 12:40 पर 5000 मीटर दौड़ के फाइनल में हिस्सा लेंगी। इसके अलावा चार अगस्त को 3,000 मीटर स्टीपल चेज पहला राउंड दोपहर 1.25 बजे होगा, जिसमें पारुल प्रतिभाग करेंगी। छह अगस्त को 3,000 मीटर स्टीपल चेज फाइनल रात 12.40 बजे होगा।

कभी लोग देते थे ताने, आज  यही लोग करते हैं  गर्व
इकलौता गांव की निवासी पारुल चौधरी आज दूसरी लड़कियों के लिए भी आदर्श बन गईं हैं। उनके पिता और मां का संघर्ष भी कम नहीं है। कभी बेटी को घर से बाहर भेजने पर जो लोग ताना देते थे आज वह गर्व से सीना चौड़ा कर कहते हैं कि पारुल हमारे गांव की बेटी है।

कभी खेतों में नंगे पांव दौड़ने वाली पारुल का ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं रहा है। शहर से 20 किमी दूर स्थित गांव से प्रशिक्षण के लिए शहर जाना आसान नहीं था। अपनी बड़ी बहन प्रीति के साथ प्रतियोगिता की तैयारी करना, गांव वालों के ताने सहना क्या कुछ नहीं सहा, लेकिन आज सभी को पारुल पर गर्व है।

पारुल पिता कृष्णपाल चौधरी और राजेश देवी की चार संतानों में से एक हैं। उनके बड़े भाई राहुल भी एक धावक रहे हैं। वहीं बड़ी बहन प्रीती चौधरी के साथ पारुल तैयारी के लिए साइकिल पर मेरठ आती थी। पारुल को दौड़ने के लिए उनके पिता ने ही कहा था।

काॅलेज की प्रतियोगिता में पहली बार दाैड़ में  जीत हासिल की, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा कभी 
बीपी इंटर कॉलेज में पहली बार 800 मीटर की दौड़ हुई, जिसमें दौड़ने के लिए उनके पिता ने कहा और वह पहले स्थान पर रहीं। इसके बाद बाद ऑल इंडिया विवि चैंपियनशिप में प्रतिभा दिखाई। उन्होंने 1500 मीटर और 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया, फिर 5000 मीटर की दौड़ में भाग लिया और बाद की स्पर्धा में पेशेवर रूप से भाग लेना शुरू किया। शुरुआती दिनों में पहले कॉलेज स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया और उसके बाद जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया।गांव से साइकिल आती थी स्टेडियम, नंगे पांव करती थी तैयारी

पारुल चौधरी और उनकी बहन प्रीति दोनों साइकिल पर सफर तय कर कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम तैयारी करने आती थी। करीब 20 किमी का सफर कर दोनों बहने तैयारी करती थीं। गांव की सड़कों पर व खेत जोतने के बाद उसमें नंगे पैर ही पारुल दौड़ लगाती थीं।

प्रीति भी एक अच्छी धावक थीं बाद में स्पोर्ट्स कोटे से ही उन्हें पुलिस में नौकरी मिली। पारुल के पिता कृष्णपाल ने बताया कि बाद में दोनों बहनों को एक स्कूटी लेकर दी, जिसके बाद उन्होंने उससे जाना शुरू किया। इसके बाद बेटी ऊंचाइयों का सफर तय करती चली गई।

हले गांव के लोग  देते थे ताने, आज बेटियों ने बढ़ाया मान और सम्मान 
पारुल के पिता कृष्णपाल चौधरी ने बताया कि दोनों बहने गांव से अकेले ही तैयारी करने शहर आती थीं। गांव के लोग इसे लेकर ताने भी देते थे। पीछे चर्चा करते थे कि बेटियां शहर से बाहर जा रही हैं, लेकिन बेटियों ने कभी सिर नहीं झुकने दिया। आज वो दिन है कि बेटी ने पूरे देश में नाम रोशन कर दिया है। सबका मुहं बंद कर दिया है। बेटियों ने पूरे गांव का मान बढ़ाया हैं |

तैयारी अच्छी करने के लिए हरियाणा से गाय खरीदकर लाये थे 

पारुल के भाई राहुल ने बताया कि जब पारुल ने तैयारी शुरू की तो उसके खाने पीने का भी ठीक से ध्यान रखा गया। उसके लिए एक गाय 80 हजार रुपये में हरियाणा से खरीदकर लाए थे। आज भी उसी गाय बछिया घर में है। इसी गाय का दूध और घी पारुल को दिया जाता था। अब पारुल विदेश रहकर ही तैयारी कर रही है। ट्रेनिंग में जो उसे खाने के लिए दिया जाता है वही खाती है, लेकिन जब भी घर आती है तो इसी गाय का दूध पीती है।

पारुल ने बहुत किया संघर्ष याद कर मां की भर आईं आंखें
मां राजेश देवी ने कहा कि पारुल जब भी घर आती है खुद सारे काम करती है। घर में सफाई करना, झाडू-पौछा लगाना किसी काम से पीछे नहीं हटती। हमें वह जो भी काम करती है पूरी लगन से करती है। इस दौरान बेटी का याद कर उनकी आंखे भर आई। उन्होंने कहा कि बेटी ने हमारा सर ऊंचा कराया है। उसने हमारा और देश का नाम रोशन किया और उम्मीद है कि वह ओलंपिक में मेडल लेकर ही वापस लौटेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *