दरोगा बनी ममता रावत ने विषम परिस्थितियों में हौंसलो से भरी सफलता की उड़ान

  • ममता ने गरीबी को नही बनने दिया सफलता के मार्ग में बांधा

शिवगढ़,रायबरेली। मन में यदि कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो विषम से विषम परिस्थितियां सफलता का रास्ता नही रोक सकती। विषम से विषम परिस्थितियों में मेहनत, परिश्रम, धैर्य और आत्मविश्वास के बल पर बड़ी से बड़ी सफलता अर्जित की जा सकती है इस कहावत को शिवगढ़ थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव की रहने वाली बेटी ममता रावत ने साबित कर दिखाया है। ममता आज सिर्फ अपने गांव ही नहीं समुचे क्षेत्र के युवकों और युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं।

गरीबी में पली-बढ़ी ममता रावत ने बगैर किसी कोचिंग और सपोर्ट के हौसलों से सफलता की उड़ान भरते हुए उपनिरीक्षक बनकर अपने परिवार के साथ-साथ समूचे गांव को गौरवान्वित कर दिया है। गौरतलब हो कि शिवगढ़ थाना क्षेत्र के कृष्णपाल खेड़ा मजरे रानीखेड़ा गांव की रहने वाली ममता रावत के पिता संतलाल का वर्ष 2014 में लम्बी बीमारी के चलते निधन हो गया था। इकलौता सहारा रहे घर के मुखिया संतलाल के निधन से पूरा परिवार सदमे में डूबने के साथ ही टूट चुका था। ऐसी विषम स्थित में ममता की मां शान्ति के सामने बच्चों की पढ़ाई लिखाई तो दूर की बात बच्चों का पालन पोषण करना चुनौती साबित होने लगा।

मां शान्ति को परेशान देखकर ममता, ममता के बड़े भाई दिनेश कुमार, छोटी बहन प्रीति रावत ने मां को दिलासा एवं भरोसा देते हुए कहाकि हम-मेहनत मजदूरी करके पढ़ेंगे आपका और पापा का नाम रोशन करेंगे। जिसके बाद ममता ने मां के साथ खेती-बाडी में हाथ बंटाते हुए बगैर किसी कोचिंग एवं बगैर किसी सपोर्ट के यूट्यूब और किताबों से कंपटीशन की तैयारी शुरू कर दी। परिणाम स्वरूप मई 2017 में पहली बार में ही ममता रावत का चयन बीएसएफ में हो गया। जिसके बाद जून 2021 को उन्होने बीएसएफ की नौकरी से त्यागपत्र देकर जून 2021 में ही पुलिस कांस्टेबल की नौकरी ज्वाइन कर ली। यूपीपी में आने के बाद एसआई की तैयारी शुरु कर दी। फरवरी 2022 में बछरावां क्षेत्र के कसरावां गांव के रहने वाले आरपीएफ जवान रमेश कुमार से शादी होने के बाद भी ममता ने अफसर बनने की चाह में अपना परिश्रम का जारी रखा।

26 फरवरी 2023 को जब लखनऊ में जब ममता रावत को उप निरीक्षक का चयन पत्र मिला तो परिवार की खुशी का ठिकाना नही रहा। गांव की बिटिया के दरोगा बनने पर पूर्व प्रधान रामखेलावन, शिवबालक,अखिलेश कुमार, मैकूलाल, प्रधान विकास यादव, रामफेर,मायाराम,साहबदीन ने ममता रावत को शुभकामनाएं दी है। गांव के ही संस्कृत विषय से टीजीटी की तैयारी कर रहे अखिलेश कुमार, उषा रावत ने बताया कि पूरे गांव में ममता रावत को छोड़कर दूसरा कोई भी व्यक्ति सरकारी जॉब में नहीं है। पहले प्रयास में फौजी,दूसरे प्रयास में यूपीपी सिपाही,तीसरे प्रयास में दरोगा बनकर ममता रावत पूरे गांव के युवकों और युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। छोटी बहन प्रीति रावत का कहना है कि अपनी दीदी से प्रेरणा लेकर वह भी अधिकारी बनकर रहेंगी।

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