भगवान श्रीकृष्ण ने एक उंगली से उठाया गोवर्धन पर्वत,टूट गया इन्द्र का घमण्ड

  • खरगी खेड़ा में चल रही 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा

शिवगढ़,रायबरेली। क्षेत्र के खरगी खेड़ा मजरे ओसाह स्थित सर्वेश्वर मन्दिर में चल रही संगीतमयी दिव्य श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथा व्यास पंडित शिवकुमार महराज जी ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद मामा कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपने राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं।

इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्र का घमण्ड टूट गया और उन्होंने एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर दिया। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं।

कथा का आयोजन रामसागर त्रिवेदी द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बीती 15 अप्रैल से प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 11 तक कथा का आयोजन होता है। 21 अप्रैल को कथा का समापन होगा जिसके उपलक्ष्य में 22 अप्रैल को ब्रह्म भोज का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर आशीष कुमार त्रिवेदी, राम सजीवन शास्त्री, राम प्रकाश त्रिवेदी, रामविलास त्रिवेदी, राकेश कुमार त्रिवेदी उर्फ आलू महाराज, रामलोचन पांडेय, सुशील मिश्रा, पारस त्रिवेदी, बच्चू लाल त्रिवेदी, सदानन्द त्रिवेदी, कमल कुमार मिश्रा, दिलीप कुमार पांडेय साहित्य सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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