दुर्गा पंडालों से नगर पालिका की कुर्सी पर निशाना साधते कुर्सी वीर
रायबरेली : जी हां हम बात कर रहे हैं रायबरेली की जहां पर आजकल नेताओं की दुर्गा पंडालों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है दुर्गा पंडालों दुर्गा मां की आरती से नगर पालिका के कुर्सी पर विराजमान होना चाहते हैं यह कुर्सी वीर आजकल बहुत सक्रिय हैं क्योंकि भोली-भाली जनता इनके बहकावे में बहुत जल्दी आ जाती है धार्मिक आयोजनों की आड़ में दुर्गा मां के पंडालों में आरती करते हुए यह कुर्सी वीर नेता आजकल बहुत देखे जा रहे हैं क्योंकि उनको लगता है की मां दुर्गा की आरती करके फोटो खिंचा के भोली भाली जनता को एक बार फिर ठगने का काम कर पाएंगे आइए नजर डालते हैं कुर्सी वीर नेताओं पर.
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इस समय सत्ता पर सवार भारतीय जनता पार्टी के 1 दर्जन से अधिक दावेदार नगर पालिका के चुनाव में अपना दम भरते हुए दिखाई दे रहे हैं कोई कहता है कि हम मंत्री के खास हैं तो कोई कहता है विधायक जी की कृपा है हम पर कई व्यापारी भी इस होड़ में लगे हुए हैं जिनको कभी भी जनता के दुख दर्द में देखा भी नहीं गया वह भी आजकल जनता के बड़े सेवक बने फिर रहे हैं रायबरेली में एक चलन है जब जिले के अधिकारियों का तबादला होता है और नए अधिकारी आते हैं तो कुछ गुलदस्ते बाज लोग गुलदस्ता लेकर उन अधिकारियों की परिक्रमा करने लगते हैं और अपनी रोटियां सीखने का काम भी चालू कर देते हैं लेकिन आजकल वह गुलदस्ते बाद भी नगर पालिका अध्यक्ष बनने की चाह रहे हैं क्यों ना हो क्योंकि एक साधारण से व्यापार में हजार पांच सौ रुपया कमाने वाला अगर लग्जरी गाड़ियों से चलता है तो स्वाभाविक है की हम भी क्यों नहीं क्योंकि हम तो उनसे बड़े व्यापारी हैं पैर सत्ता पर काबिज नेता भी दम भर रहे हैं लेकिन जो 1 दर्जन से अधिक सत्ताधारी दल के दावेदार हैं उनका मानना है की इस बार प्राथमिकता हमें ही मिलेगी निशाना सिर्फ एक है बड़ी-बड़ी गाड़ियां बड़े-बड़े शहरों में मकान अकूत संपत्ति नगरपालिका के विकास से नगर पालिका की स्थिति से किसी को कोई सरोकार नहीं है कोई भी नेता टूटी पड़ी नालियां जलभराव खस्ताहाल रास्ते बदहाल पार्क की सुध लेने वाला नहीं है.
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ऐसे भी नेता है जो कहते हैं कि हमारा वाला कार्यकाल स्वर्णिम काल था भाई वह काल अगर स्वर्णिम काल था तो उसके बाद जनता की सुध क्यों नहीं ली गई जनता अपने आप को ठगा हुआ क्यों महसूस करती है आज सीना ठोक कर दावा कर रहे हैं कि हमसे अच्छा विकास कोई नहीं कर सकता जातिवाद धर्म वाद वर्ग वाद की राजनीति करते हुए अपने परिवारिक बैकग्राउंड के दम पर चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं लेकिन उनके मुख्य प्रतिद्वंदी भी ताल ठोक कर मैदान में हैं उनका दावा है कि पार्टी उन्हें ही टिकट देगी अगर नहीं दी जाती है तो चुनाव में हमारा उतरना तय है क्योंकि उनको भी एक बार कुर्सी का स्वाद मिल चुका है फिलहाल कुर्सी की इस लड़ाई में जनता को ठगा जाना निश्चित है.
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अब तो सभासद भी अध्यक्ष बनने की दौड़ में शुमार हो गए हैं जिन्होंने अपने वार्ड में भी विकास के नाम पर खरे नहीं उतर पाते हैं उनका दावा है कि मैं भी अध्यक्ष बन जाऊं यह सुख सुविधाएं मेरे पास भी आ जाएं लेकिन जनता इन सब चीजों को भलीभांति देख रही है ऐसा नहीं है की फोटो खिंचवाने से दुर्गा मां के पंडालों में जाने से झूठे वादे झूठी तसल्ली देने से अध्यक्ष का पद नगरपालिका की कुर्सी नसीब हो जाएगी जनता के विश्वास और भरोसे पर कायम रहने के लिए बहुत कुछ करना होगा।
आजकल एक नए नेता का भी उदय हो गया है जो अपने को एक विधायक का मुख्य वारिस बताते हैं अपने व्यवहार में तो परिवर्तन अभी तक लाने में सफल हो नहीं पाए हैं तो जनता के बीच में उनका भरोसा कैसे कायम होगा क्योंकि भोली भाली जनता अपने नेताओं से प्यार और स्नेह चाहती है जिससे वह सरलता से मिल सके अपना दुख दर्द उन्हें बता सके और उनको अपने मोहल्ले अपने घर तक भुला सके यही चाहती है जनता लेकिन इन नेता महोदय को कौन बताएं कि राजा महाराजा का समय नहीं बचा है अब लोकतंत्र में जनता ही तय करती है कि कौन कुर्सी पर विराजमान होगा।
इसके अलावा भी कई मौसमी नेता इन दिनों मैदान में उतर चुके हैं और अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं लेकिन इन नेताओं को अपनी दावेदारी के साथ पहले जनता का विश्वास जीतना होगा तभी नगर पालिका की कुर्सी तक पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है खैर अभी तो शुरुआत है अभी इन नेताओं के द्वारा बहुत हथकंडे खेले जाएंगे जिनके पीछे बड़े-बड़े शातिर लोग अपना दिमाग लगाते हुए देखे जा सकते हैं अगले लेख में कुछ और नई चीजों के साथ.