I never thought that fate would bring me here. You will die as soon as you reach your destination!

सोचा नही था तक़दीर यहां लायेगी, मंज़िल पे आते ही जान चली जायेगी!

श्री डेस्क : कन्नौज के विजय कुमार 9 साल की सज़ा काटने के बाद इटावा जेल से रिहा किये गये, बेटी और पत्नी विजय को जेल के गेट से घर के लिये ऑटो में सवार होकर निकली तो बीच रास्ते में ही लखनऊ- आगरा एक्सप्रे वे ऑटो का इतना भयानक एक्सीडेंट हुआ कि 9 वर्ष बाद जेल से रिहा हुए विजय कुमार और बाप का इंतेज़ार में जिंदगी गुज़ार रही बेटी की मौत हो गई और पत्नी की हालत गंभीर है, इसे कहते है मंज़िल पर आते ही पांव कट जाना, विजय कुमार की मौत उन्हें जेल से निकालकर सड़क पर लाई और विजय व उसकी बेटी को अपने साथ ले गई!

9 वर्षों से बेटी बाप का पत्नी सुहाग का और विजय परिवार से मुलाक़ात की उम्मीदों में हर दिन हर रात काटता रहा, वह जेल से रिहा हुए और घर कर निकले तो बीच रास्ते में ही बेहद दुखद हादसा जो कि उन्हें सदा के लिए इस दुनिया से ले गया!

मंज़िल क़रीब आई तो एक पांव कट गया,
चौड़ी हुई सड़क तो मेरा गांव कट गया!

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