Dussehra 2022: कल मनाया जाएगा दशहरा, क्या है पौराणिक कथा
Dussehra 2022 : दशहरा हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार है इस पर्व को क्यों मनाते हैं दशहरा का त्योहार किस के कारण मनाया जाता है त्यौहार दशहरा हिंदुओं का मुख्य पर्व है यह त्यौहार बुराई को छोड़कर अच्छाइयों को दर्शाता है इस त्यौहार को हम अपने पारंपरिक दृष्टि से बनाते हैं इस त्यौहार को मनाने का उद्देश्य कि किस तरह होती है बुराई की हार और अच्छाई की जीत इस त्योहार को हम बहुत हर्ष उल्लास के साथ होना आते हैं और इस त्यौहार को मनाने के लिए हम हर साल दशहरे का आने का इंतजार करते हैं क्या है दशहरा दशहरा कुमार मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाते हैं इस त्यौहार का उद्देश्य कि हमारी संस्कृति के वीरता सॉरी के उपासक हैं यह हमारे व्यक्ति और वीरता का प्रतीक है हमारे समाज में रक्त वीरता को प्रकट करता है इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है.
भगवान श्रीराम को मिली थी असत्य पर सत्य पर जीत
कहा जाता है भगवान श्री हरि ने इस धरती पर पाप का अंत करने के लिए राजा दशरथ के घर माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया था और उन्होंने अपने लीला करके 14 वर्ष का वनवास व्यतीत किया और रावण बहुत बड़ा विद्वान पंडित है वह जानता था कि भगवान राम स्थिति पर अवतरित है और वह समुद्र के तट पर अपनी कुटिया बनाकर रह रहे हैं इधर रावण अपने मामा मारीच को एक सुंदर बनने के लिए आग्रह किया कि तुम एक सुंदर हिरण बनकर माता सीता को अपनी ओर आकर्षित करो तब मैं सोचा कि रावण के हाथों से मरने से तो अच्छा है कि हम राम के हाथों में बैकुंठ को प्राप्त करें रावण ने सीता का हरण किया और माता को पंचवटी के अंदर अशोक वाटिका में रावण का उद्धार भगवान राम के हाथों और उनकी सेना के हाथों करना एक-एक करके अपने सारे पुत्र पौत्र और रिश्तेदारों का उद्धार किया।
भगवान के हाथों हुआ रावण का वध
और अंत में वह खुद रणभूमि में पहुंचा और भगवान श्री राम के हाथों से उसका वध हुआ इस तरह से भगवान ने रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की और अंत में सत्य की हार और सत्य की जीत है जिस दिन रावण का वध हुआ उस दिन तिथि दशमी थी जिसके कारण इस त्यौहार को दशहरा कहा जाता है राम ने रावण को मारकर विजय प्राप्ति से विजयदशमी के नाम से जाना जाता है यह तो हर वर्ष की तीन अत्यंत शुभ में से एक है यह त्यौहार अत्यंत शुभ का प्रतीक है इसे लोग घरों में कई तरीकों से कोई नया कार्य करते इस दिन अपने घरों में अस्त्र शास्त्र और वाहन की पूजा करते पहले के राजा लोग दशहरा पर्व इस प्रकार के अवगुणों को छोड़कर मनाते थे.
जैसे चोरी काम क्रोध मोह लोभ अहंकार मद मत्सर आलस हिंसा जैसे विकारों को छोड़ने की सौगंध उठाते थे और इस दिन राजा विजय की कामना करके यात्रा के लिए जाते थे कैसे भी दशहरे शब्द की उत्पत्ति और राम के हाथों रावण का वध रावण के विकारों का और इसके कटने से इस त्यौहार को दशहरा के नाम से जाना जाता है कुछ लोगों का कहना है कि प्राकृतिक पहलू का भी हिस्सा है क्योंकि यह समय किसानों के धान की फसल और आता है तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता और नई फसल को उगाने की तैयारी करने लगता है जैसे कि उस गाने में भगवान और धरती को धन्यवाद और धरती को खुश करने के लिए उसकी पूजा करता है इस त्यौहार का अस्तित्व दुर्गा से भी नवरात्रि पर्व मनाया जाता क्योंकि समय उपरांत देवी महिषासुर का वध किया था और राम और रावण भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा के परम भक्त थे.
इस लिए 9 दिनों तक राम ने मां दुर्गा का व्रत और उपवास रखा था रावण रावण और राम की विजय के इस त्यौहार को विजयदशमी दशहरा में लगाए जाते हैं मेले जगह-जगह किए जाते हैं मेले का आयोजन यहां पर हर जगह से रिश्तेदार परिवार दोस्त आदि आते हैं मेला देखने मेले में मिठाई खिलौने समोसा बर्तन की दुकान लगाई जाती है मेले में जलाया जाता है रावण का पुतला ज्यादातर मेले में रामलीला का आयोजन किया जाता है और उसका बहुत ही बड़ा पुतला बनाकर उसमें पटाखे आज भरकर रावण को शाम को चलाते हैं आज भी भगवान राम की स्मृति में मनाया जाता है तो दुर्गा पूजा के रूप में पूजा पूजा के रूप में सख्त पूजा शस्त्र पूजन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है कहा जाता है कि जो रावण मेले में जलाया जाता है उस रावण की बच्ची हुई राख को एक कपड़े में बांधकर घर में रखने से नकारात्मक शक्तियां नहीं प्रवेश करती है और उस घर में धन धन की कोई कमी नहीं रहती है क्यों जलाते हैं रावण का पुतला आज भी हम समाज को दर्शाते हैं कि एक ना एक दिन असत्य पर सत्य की जीत अवश्य होगी क्योंकि बुराई ज्यादा दिन टिक नहीं पाती और अच्छाई हमेशा रहती है.