सीएमओ ने छात्र छात्राओं को खिलाई एल्बेंडाजोल

उपेंद्र शर्मा /बुलंदशहर। जनपद के एनपीएस स्कूल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विनय कुमार सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके जैन ने संयुक्त रूप से छात्र छात्राओं को एल्बेंडाजोल खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) का शुभारंभ किया। जनपद के समस्त स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों पर यह दवा एक से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों, किशोर-किशोरियों को खिलाई गयी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विनय कुमार सिंह ने बताया – जनपद में 18.73 लाख बच्चों, किशोर-किशोरियों को पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों के बच्चों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया किसी कारणवश जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। मॉप राउंड में शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं।

आरबीएसके के नोडल अधिकारी डा. एसके जैन ने बताया –तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर खिलाई गयी, जबकि तीन वर्ष से ऊपर के बच्चों ने चबाकर खाई। उन्होंने बताया पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेंडाजोल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। इस बार यह चॉकलेट फ्लेवर में मिली है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूनम सिंह ने बताया ‘हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो बच्चे दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे।’

क्यों जरूरी है दवा खाना

डीईआईसी मैनेजर ललित कुमार ने बताया बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेंडाजोल खाने से यह कीड़े निकल जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कीड़े हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। कीड़ों से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें दवा खाने से कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ठीक हो जाते है। उन्होंने बताया पेट के कीड़े निकालने की दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस मौके पर शहरी नोडल डा. शशि राय, डा कमलेंद्र भारद्वाज, वीरेंद्र वर्मा आदि मौजूद रहे।

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