Chaitra Navratri 2023 : कब से प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि
Chaitra Navratri 2023 : कब से प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि वैसे तो वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार वर्ष में दो बार ही नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है चैत्र नवरात्रि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए और मां दुर्गा के नौ रूपों का स्मरण करके उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
[youtube-feed feed=1]
कब से प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि और कब समाप्त होगी
इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से प्रारंभ हो रही है और 30 मार्च को समाप्त हो जाएगी और चैत्र नवमी को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा क्योंकि चैत्र रामनवमी के दिन अयोध्या के राजा दशरथ के घर भगवान राम का जन्म हुआ था जिससे कि आज भी देशवासी रामनवमी के रूप में राम जन्मोत्सव मनाया जाता है जो पुरुष या महिला नवरात्रि का व्रत उपवास करते हैं तो उन्हें रामनवमी जरूर मनाना चाहिए क्योंकि अगर आप रामनवमी का व्रत नहीं करते हैं तो आपको चैत्र नवरात्रि का फल नहीं मिलता है.
अन्य पढ़े :नई नवेली दुल्हन पहली होली मायके में क्यों मनाती है
कैसे करें घटस्थापना
घटस्थापना के लिए सबसे पहले आप मिट्टी को किसी पात्र में भरकर लाय जल डाल दे और उसके ऊपर जौ बो दे फिर उसमें हल्दी, रोली और आटे से उसमें स्वास्तिक का चिन्ह बनाए फिर उसके बाद उसकी पूजा-अर्चना करें और गणेश भगवान को याद करते उन्हें पधारने के लिए आमंत्रित करें उसके बाद तांबे या पीतल के लोटे में जल भरकर लोटे में कलावा बांधते सुपारी थोड़ी हल्दी डाल दे पैसे का सिक्का भी डाल दें फिर 7 पत्तों वाला आम का पल्लव रखकर एक डाली कुश की रख दे और फिर कटोरी में अनाज भरकर रख दे.
अगर आप की कोई मानता हो तो उसके ऊपर आप अखंड ज्योति जलाए नहीं तो फिर उसके ऊपर कलावा बांधकर नारियल रखकर फिर विधि के अनुसार गणेश भगवान की पूजा करें पहले कलस पर जल चढ़ाएं उसके बाद हल्दी चंदन सिंदूर आदि से पूजा करें जनेऊ पहने दूब चढ़ाएं उसके बाद लड्डू का भोग लगाएं फिर आच मन करें फिर फल फूल मिठाई का भोग लगाकर श्रद्धा से पूजा करें धूप दीप जलाएं और पानआदि से गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करे और इसी क्रम में पाटे पर आटे रोली हल्दी से नवग्रह बनाएं और कोनो में काले तिल रखें और कलस के साथ-साथ नवग्रह की पूजा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि नवग्रह के बिना कोई पूजा पूरी नहीं मानी जाती है घट स्थापना का मुहूर्त सुबह ६:23: से 7:32 तक का रहेगा कैसे करें माता की पूजा वैसे तो माताजी सिंह पर सवार होकर आती है तभी उन्हें सारी पृथ्वी सिंह वाली के नाम से भी जानते लेकिन अबकी बार मातारानी नाव पर सवार होकर आपके घर आएंगे माता की पूजा करने से पहले आप एक या चौकी रख सकती हैं उस पर लाल रंग का कपड़ा डाल दे फिर उस पर एक मुट्ठी चावल का छोटा सा ढेर कर उस पर 9 मुख वाला सूर्य के समान किरण वाला बना ले उसके बाद उस पर माता को विराजमान करें और उनका ध्यान करके माता को आमंत्रित करे की हे.
आप हमारी पूजा अर्चना को अच्छे से पूरा कर दें कि आप हमारे घर में विराजमान रहे माता को जल चढ़ाएं उसके बाद फिर लाल चंदन लगाएं उसके बाद माला फूल चढ़ाएं चुनरी चढ़ा और फिर माता को सोलह सिंगार का सामान चढ़ाए और फिर फल फूल मिठाई चढ़ाएं और धूप दीप जलाए और माता को मखाना के लावा की माला पहनाई गरी का गोला चढ़ाएं उसके बाद माता का मंडप केले के पत्ते से सजाएं कपूर की आरती जलाए पान सुपारी लौंग आदि चढ़ाकर माता के मुख् शुद्धि करें तत्पश्चात माता के भजन कीर्तन आदि करे और माता को पहले दिन गुड़ का भोग लगाया जाता है और जो भी फलाहार आप करती है वह फलाहार सब कुछ एक थाली में निकाल कर सबसे पहले किसी कन्या को खिला दे उसके बाद आप स्वयं खाएं क्योंकि कन्या में माता का स्वरूप दिखाई पड़ता और कन्या खिलाने से माता रानी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं और मनचाहा फल प्राप्त करने का आशीर्वाद प्रदान करती और वैसे तो नवरात्रि के व्रत में किसी दिन किसी भी प्रकार का नमक नहीं खाना चाहिए लेकिन आजकल ब्लड प्रेशर जैसी समस्या उत्पन्न है जो कि नमक खाना अनिवार्य हो गया लेकिन नवरात्रि के पहले दिन नमक बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
चैत्र की नवरात्रि में लहसुन प्याज मांस मदिरा आदि नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह सब खाने से माता अत्यधिक क्रोधित हो जाती है और आपके घर से हमेशा के लिए चली जाती है और आप को श्राप देकर जाते हैं जिससे कि आपके घर में कोई अनहोनी हो सकती है इस नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए नवरात्रि के पर्व में अगर आप अपने घर से कहीं बाहर गए हैं तो आपको बिना नहाए कुछ नहीं खाना चाहिए और बाहर का तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए उसके बाद आप स्वच्छ कपड़े स्वच्छ बिस्तर का ही प्रयोग करना चाहिए और आपको अपने घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए सबसे ज्यादा अपनी रसोई बर्तन और खानपान की सामग्री हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए और आपको दाढ़ी बाल नहीं कटवाने चाहिए और अपने जूते चप्पलों को बिखेर कर नहीं रखना चाहिए उन्हें आप अपने यथा स्थान पर उतारे या फिर घर के बाहर ही रखें और आपको चारपाई पर नहीं सोना चाहिए आपको तखत पर ही सोना चाहिए।
व्रत के साथ-साथ अपने शरीर का भी विशेष ध्यान रखना
आपको व्रत के साथ-साथ अपने शरीर का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए इससे आपको अपनी एनर्जी पूर्व ही चीजों का प्रयोग करें जिससे कि आपको व्रत रहने में कोई असुविधा ना हो और व्रत में सिंघाड़े के आटे की पूर्णिया मूंगफली के दाने आलू दही फल घर की बनी मिठाई आदि का प्रयोग करें जिससे आपको कमजोरी महसूस ना हो और नवमी के दिन ब्राह्मण को बुलाकर माता जी का हवन करें और माता जी से अपनी गलती की क्षमा प्रार्थना करें और फिर अगली नवरात्रि में आने का निमंत्रण दे और कन्या भोज करा कर कन्याओं को लाल रंग की चूड़ियां में जरूर दें और सुहागिन स्त्रियों को मेहंदी का भी दान दे और ब्राह्मण कन्या को भोजन कराकर यथाशक्ति के अनुसार दक्षिणा दे और फिर खुशी-खुशी ब्राह्मण को विदा करें और कन्या को चावल का दान करें और उस दिन घर में झाड़ू ना लगाएं।