राम वन गमन,राम-भरत मिलाप दृश्य देख भावुक हो गए दर्शक ! भर आई आंखें

  • रावण के सभी योद्धा नही हिला पाए अंगद का पैर
  • श्री संगमवीर बाबा का 2 दिवसीय मेला सम्पन्न

शिवगढ़,रायबरेली। क्षेत्र के नारायनपुर में आयोजित श्री संगमवीर बाबा का 2 दिवसीय मेला सम्पन्न हुआ। मेले में आए श्रद्धालुओं ने बड़ी शिद्दत के साथ बाबा के मन्दिर में प्रसाद चढ़ाकर एवं माथा टेककर मनोकामनाएं मांगी। श्री संगमवीर बाबा रामलीला कमेटी के कलाकारों द्वारा आयोजित रामलीला में दूसरे दिन राम वन गमन, राम-भारत मिलाप, अंगद रावण संवाद का भव्य पंचन किया गया।राम वन गमन दृश्य देख दर्शक भावुक हो उठे। राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राम को राजा बनाने की घोषणा करते हैं। इससे रानी कैकेयी की दासी मंथरा कुपित होकर रानी के कान भरती है। रानी उसकी बातों में आकर कोप भवन में जाती हैं, जहां राजा दशरथ को रानी अपने दो वचन याद दिलाती हैं और उसे मांगते हुए कहती हैं कि उनके पुत्र भरत को राज और राम को वनवास भेजा जाए। रानी की बात सुन महाराज दशरथ अचेत हो जाते हैं। होश में आने पर राम को संदेशा भिजवाते हैं। आने पर राम को वनवास की बात पता चलती है। पिता की आज्ञा पाकर राम लक्ष्मण व सीता वन पथ पर प्रस्थान करते हैं।

वन पथ पर राम को जाता देख अयोध्या की प्रजा उनके साथ हो लेती है रास्ते में वह प्रजा को बिना बताए प्रस्थान कर जाते हैं। राम के वनगमन के बाद राजा दशरथ प्राण त्याग देते हैं। भरत को उनके ननिहाल से बुलाया जाता है। अयोध्या आने के उपरांत उन्हें घटना क्रम की जानकारी होती है, जिससे कुपित होकर भरत अपनी माता कैकेयी से नाराज होते हैं। इधर पिता का कर्मकांड कर भरत राम को वन से लौटाने के लिये वन प्रस्थान करते हैं,जहां राम भरत का मिलन होता है। काफी मनाने के बाद जब राम नहीं मानते तब राम की चरण पादुका सिर पर रख कर भरत वापस अयोध्या पहुंचते हैं। इधर राम चित्रकूट से पंचवटी के लिये प्रस्थान करते हैं।

अंगद रावण संवाद दृश्य में अंगद भगवान राम के दूत बनकर रावण के दरबार में पहुंचते हैं। उन्होंने प्रभु श्रीराम जी का संदेश रावण की भरी सभा में सुनाया। अंगद के निरुत्तर न होने पर रावण क्रोधित हो गया। इस दौरान लंका के सभी योद्धा अंगद का पैर तक नहीं हिला सके। इसके बाद प्रभु राम की सेना लंका पर चढ़ाई करती है। भयंकर युद्ध में रावण की सेना के कई योद्धा मारे जाते हैं। युद्ध में मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं जिससे सम्पूर्ण रामादल शोकग्रस्त हो जाता है। सुखेन वैध के बताने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण का उपचार किया गया।

कलाकारों द्वारा बहुत ही मार्मिक ढंग से जीवन्त मंचन किया गया। मेले का आयोजन ग्रामीणों के सामूहिक सहयोग से किया गया। इस मौके पर मेला कमेटी के गिरिजा शंकर द्विवेदी, जगदीश प्रसाद शर्मा,विपिन पाण्डेय, राम लखन लोधी, धर्मेंद्र शर्मा, ध्यानू पांडेय,राम पांण्डेय, कार्तिक पांडेय, प्रधान अमृतलाल लोधी,दिलीप पाण्डेय, चंद्र लाल रावत, रामलाल रावत, पीतांबर लोधी, श्री राम लोधी, प्रेम शंकर गुप्ता, बंसीलाल लोधी,राजाराम लोधी, सहित सैकड़ो की संख्या में लोग उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *