ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा हेरफेर कर प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिये जाने का एक और मामला

रिपोर्ट – टी पी यादव 

महराजगंज रायबरेली। ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा हेरफेर कर प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिये जाने का एक और मामला प्रकाश में आया है। गांव के एक ग्रामीण की शिकायत पर जिलाधिकारी ने परियोजना निदेशक से जांच कराई। परियोजना निदेशक की जांच में अपात्र को पीएम आवास की धनराशि आवंटित करने की पुष्टि हुई। जांच आख्या में पीडी ने खण्ड विकास अधिकारी को निर्गत धनराशि की वसूली करने के निर्देश दिए हैं वहीं जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र भेजकर जांच में दोषी पाए गए ग्राम पंचायत अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करते हुए कृत कार्यवाही से अवगत कराने को कहा गया है।

विकास क्षेत्र के ज्यौना ग्राम सभा निवासी जगजीवन पुत्र प्रभू ने जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव को शिकायती पत्र देत हुए ग्राम सभा में आवंटित पीएम आवास की जांच कराये जाने की मांग की थी। मामले को गम्भीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने सीडीओ को जांच कराये जाने कि लिए निर्देशित किया। सीडीओ ने मामले की जांच पीडी राजेश कुमार मिश्रा को सौंपी।

पीडी ने सीडीओ को दी गयी जांच आख्या में 5 प्रधानमंत्री आवास लाभार्थियों में पूरे गुमान मजरे ज्यौना निवासिनी फूलमती पत्नी सोनेलाल को अपात्र बताते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी अजीत प्रताप सिंह को दोषी माना है और डीपीआरओ को पत्र भेजकर ग्राम पंचायत मंत्री के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही करने व कृत कार्यवाही से अवगत कराने को कहा है। यही नही पीडी ने खण्ड विकास अधिकारी को पत्र जारी करते हुएं अपात्र को दिए गये पीएम आवास की धनराशि की वूसली के निर्देश दिये हैं।

पीडी की जांच से असन्तुष्ट शिकायतकर्ता ने पुनः जांच की मांग की।

शिकायतकर्ता जगजीवन द्वारा जिलाधिकारी से 5 पीएम आवासो की पात्रता जांच कराने की मांग की थी। जांच में परियोजना निदेशक ने एक को अपात्र घोषित किया। जबकि शिकायतकर्ता जगजीवन ने पीडी को पत्र देते हुए पूरे स्वयंबर सिंह मजरे ज्योना निवासी मनोज पुत्र प्रभू को भी अपात्र बताया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि मानक के अनुसार 50 हजार से अधिक का किसान क्रेडिट लोन लेने वाले अपात्र होते हैं, जबकि मनोज का केसीसी लोन 1 लाख 2 हजार रूपये का है, फिर भी उन्हें पात्र बताया गया है शिकायतकर्ता द्वारा पुनः जांच की मांग की गई है।

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