शास्त्रों के अनुसार क्यों नहीं करना चाहिए निर्वस्त्र स्नान
शास्त्र के अनुसार बताया जाता है कि निवस्त्र स्नान करने के कुछ कारण होते हैं आइए लेख के माध्यम से जानते हैं कि क्यों निर्वस्त्र स्नान नहीं करना चाहिए हिंदू धर्म में प्रत्येक क्रिया के कुछ नियम व कारण बताए जाते हैं आइए हम भी उन नियमों को अपनाएं वह उनके बारे में जाने शास्त्रों के अनुसार हम सभी को प्रत्येक नियमों का पालन करना जरूरी होता है जिससे सभी के घरों में सुख शांति समृद्धि और खुशहाली बनी रहे.
आप के शास्त्रों में कुछ ऐसी बातें लिखी है जिनके बारे में सभी लोगों को नहीं मालूम है और वह छोटी-छोटी गलतियों के कारण अनेक कष्टों और दुखों का सामना करना पड़ता है तो इस तरह से प्रत्येक नियमों का पालन करना चाहिए इन्हीं नियमों मे एक नियम है स्नान करने का आप अपने घर के बड़े बुजुर्गों से सुना होगा कि बिना कपड़ों का स्नान करना अ शुभ माना जाता है आइए जानते है इन कारणों के बारे में बताया जाता है ।
शास्त्रों में क्यों की जाती है निर्वस्त्र स्नान की मनाही
हम आपको पौराणिक कथाओं के जरिए आपको निर्वस्त्र स्नान के बारे में बता रहे हैं इसका मुख्य कारण सरोवर के साथ-साथ कृष्ण भगवान और गोपियों के से जुड़ा है जब गोपिकाएं सरोवर में स्नान कर रहे थी तब कृष्ण भगवान कदम के पेड़ पर छिप कर बैठ गए और उन्होंने गोपीयो के सभी वस्त्र क़दम के वृछ पर टांग दिए जब गोपिकाएं स्नानकर होती है तो अपने वस्त्र न पाकर बहुत दुखी होती है और भगवान श्री कृष्ण से आग्रह कर ती हैं कि हमें हमारे वस्त्र वापस दे दे तब भगवान कहते हैं कि आप ऐसे हीजल जैसे बाहर निकलो तब सभी को पु राइन एक वृक्ष होता है उसके पत्ते पहनकर जल से बाहर निकलती है तब भगवान श्री कृष्ण समझाते हैं कि जल में बिना वस्त्र के स्नान जल मे स्नान करने से जल देवता के साथ साथ वरुण देवता का भी अपमान होता है इस अपमान के कारण वरुण देवता क्रोधित हो जाते हैं ।
बिना वस्त्र के स्नान करने से क्यों होते हैं वरुण देवता नाराज
आप सभी को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि हम बन्द कमरे मे स्नान कर रहे हैं तो हमे कोई नहीं देख रहा है तो यह आपकी सबसे बड़ी गलती है क्योंकि यह किसी को नहीं पता है कि भगवान किस रूप में कहां विद्यमान है और वह हमारे सभी कार्यों के बारे में देखते हैं अगर आप ऐसा सोचते हैं तो वह गलत है अगर आप बिन कपड़ों के स्नान कर रहे हैं तो यह सीधा वरुण देवता का अपमान माना जाता है जिसके कारण आपको किसी अनहोनी का भी सामना करना पड़ सकता है शारीरिक दुखो के साथ-साथ आप को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है ।
किस प्रकार प्रवेश करती है शरीर में नकारात्मक ऊर्जा
अगर आप बिना वस्त्र की प्रतिदिन स्नान करते हैं तो आपके शरीर की सकारात्मक शक्तियां बाहर निकल जाती और नकारात्मक शक्तियां शरीर में प्रवेश कर जाती है आप स्नान करते समय शरीर पर एक वस्त्र धारण करें लेकिन बिना वस्त्र के स्नान करना ना करें नहीं तो बिना वस्त्र के स्नान करना आपके शरीर मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकती है आपको लग सकता है पितृदोष गरुड़ पुराण में बताया जाता है कि आपके बिना वस्त्र के स्नान से आपको पितृदोष का भी सामना करना पड़ता है क्योंकि जब घर में किसी की मृत्यु होती है और उसका अंतिम क्रिया कर्म करना पड़ता है उसके बाद दूसरे दिन से नदिया पोखरा में स्नान किया जाता है इन दस दिनों में पितरों को बिना वस्त्र के ही जल दिया जाता है क्योंकि यही 10 अंजलि जैन पितृलोक पूरा 10 माह पी के रहते हैं और जो स्नान हम रोज करने करते हैं उससे हमें बिना वस्त्र धारण किए नहीं करना चाहिए क्योंकि वस्त्र से गिरने वाला जल ही हमारे पित्र ग्रहण करके अपनी प्यास बुझाते हैं और हम से प्रसन्न होकर हमें बल तेज सुख और धन का आशीर्वाद देते हैं और इस कारण हमें कभी बिना वस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए पद्मपुराण की माने तो नहाने वाला पानी हमारे पितरों के हिस्से में आता है जिससे अगर आप बिना कपड़े के नहाएंगे तो हमारे पित्र अपनी प्यास कैसे बुझाएंगे।
बिना वस्त्र के स्नान करने से माता लक्ष्मी होती है नाराज
बिना वस्त्र के स्नान करने से होती है माता लक्ष्मी नको ती है माता लक्ष्मी नाराज और बनते हैं आपके घर और कुंडली में धन हानि के योग इसलिए बिना वस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए और जिससे कि आपकी आर्थिक स्थिति में तंगी आ सकती औरआपको अनेकों कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ सकता है जिस कारण से आपको बिना वस्त्र के स्नान करने की सलाह नहीं दी जाती है अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया है तो कृपया लाइक करें शेयर करें कमेंट करें और हमारे साथ जुड़े हैं अगले लेख को पढ़ने के लिए.