रायबरेली: कमला नेहरू ट्रस्ट भूमि घोटाले में तीन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, जाँच ने पकड़ी रफ्तार

रायबरेली के बहुचर्चित कमला नेहरू एजुकेशनल ट्रस्ट से जुड़े भूमि घोटाले की जाँच ने अब निर्णायक मोड़ ले लिया है। इस गंभीर मामले में पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज करते हुए तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट (आरोप पत्र) दाखिल कर दी है। यह मामला सरकारी अभिलेखों में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ कर ट्रस्ट को नजूल की जमीन अवैध रूप से ‘फ्री होल्ड’ कराने से संबंधित है, जिसकी एफआईआर साल 2021 में तत्कालीन एडीएम एफआर प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने दर्ज कराई थी।

​पुलिस द्वारा न्यायालय में पेश किए गए आरोप पत्र में जिन प्रमुख लोगों के नाम शामिल हैं, वे हैं:
​मदन पाल आर्य: तत्कालीन एडीएम एफआर
​राम किशुन श्रीवास्तव: नजूल लिपिक
​सुनील तिवारी: कमला नेहरू ट्रस्ट के सदस्य और डीड के गवाह ​पुलिस की जाँच में पाया गया है कि इन तीनों आरोपियों ने अपनी पद और पहुँच का दुरुपयोग करते हुए सरकारी दस्तावेजों के साथ हेरफेर किया और गलत तरीके से जमीन को ट्रस्ट के नाम कराया।

​जाँच के दायरे में राजस्वकर्मी और पाँच की मौत: ​इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उप निबंधक घनश्याम, राजस्व निरीक्षक प्रदीप (कानूनगो), और लेखपाल प्रवीण मिश्रा के विरुद्ध जाँच अभी भी जारी है। ये सभी राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनकी भूमिका की गहराई से पड़ताल की जा रही है।

​वहीं, इस प्रकरण से जुड़े पाँच आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है, जिनमें छेदी लाल जौहरी (नजूल लिपिक), सुनील देव (सचिव ट्रस्ट), कृष्णपाल (तहसीलदार), विक्रम कौल (सोसाइटी अध्यक्ष), और विंध्यवासिनी प्रसाद (प्रशासनिक अधिकारी ट्रस्ट) शामिल हैं।

​यह चार्जशीट रायबरेली प्रशासन में हुए सबसे बड़े भूमि घोटालों में से एक को उजागर करती है और सरकारी महकमे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पुलिस की इस कार्रवाई से साफ है कि प्रशासन सरकारी संपत्ति की अवैध खरीद-फरोख्त से जुड़े इस जटिल मामले को तार्किक अंजाम तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। न्यायालय में अब इन तीनों आरोपियों पर मुकदमा चलाया जाएगा।

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