त्रिदिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम ‘बतरस 2025’ का हुआ भव्य समापन | Abdul Bismillah को मिला ‘बतरस सम्मान 2025’

रायबरेली। रायबरेली में आयोजित त्रिदिवसीय साहित्यिक उत्सव ‘बतरस 2025’ के अंतिम दिन का आगाज सम्मानित साहित्यकार दिलीप श्रीवास्तव के स्वागत वक्तव्य से हुआ। इसके पश्चात कार्यक्रम संचालन का कार्यभार आराध्य श्रीवास्तव ने संभाला।


भविष्योन्मुखी बतरस की शुरुआत

कार्यक्रम के पहले चरण “भविष्योन्मुखी बतरस” की शुरुआत हिमांशु शेखर शुक्ल के वंदन गीत से हुई। इसके बाद दीपिका सिंह ने स्वागत भाषण देकर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की।

इस सत्र में हिमांशी, शाव्या, साक्षी, संस्कृति, अम्वास्तु, अभिनंदन, प्राणिका, अक्षत, आराध्या, ओजस, अद्विजा, अंश प्रताप, आशु प्रताप, अनन्या, अनामिका, निकिता आदि ने संगीत, नृत्य, भाषण और कविताओं से ऐसा मनमोहक वातावरण बनाया कि दर्शक-दीर्घा तालियों की गूंज से भर उठी।


परिचर्चा सत्र – “अभिभावकों की अपेक्षाएं और बच्चे”

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में दो परिचर्चाएं आयोजित की गईं, जिनका विषय था — “अभिभावकों की अपेक्षाएं और बच्चे”।
पहली परिचर्चा रमन सिंह और अजय सिंह, जबकि दूसरी परिचर्चा दिलीप श्रीवास्तव और ममता सिंह के बीच हुई।
दोनों परिचर्चाओं में अभिभावक और बच्चों के बीच संवाद, समझ और अपेक्षाओं के संतुलन पर सार्थक चर्चा हुई।


सृजन संवाद सत्र – अब्दुल बिस्मिल्लाह के रचनाकर्म पर केंद्रित

कार्यक्रम के अंतिम सत्र “सृजन संवाद” में चर्चित साहित्यकार अब्दुल बिस्मिल्लाह के रचनाकर्म पर चर्चा हुई। इस सत्र में किशन कालजयी, आकांक्षा, इंद्रदेव, शालिनी, रामजी यादव, दिव्यानंद, मृत्युंजय सिंह आदि साहित्यकार शामिल रहे।

इस अवसर पर अब्दुल बिस्मिल्लाह को ‘बतरस सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया। सत्र का संचालन कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने किया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश सिंह ने की।

शिवमूर्ति बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे और उन्होंने अपने संबोधन में नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने की दिशा में ऐसे आयोजनों को सराहा।


प्रबुद्ध श्रोताओं की रही बड़ी संख्या

बतरस 2025 के समापन समारोह में आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोताओं ने उपस्थिति दर्ज की। सभी ने इस आयोजन को साहित्यिक संवेदना, संवाद और सृजन का अद्भुत संगम बताया।

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