आखिर कंहा बही विकास की गंगा दावों की खुली पोल,ग्रामीणों ने चंदा लगाकर किया खड़ंजे का किया निर्माण
बाराबंकी : विकास खण्ड़ हैदरगढ़ की ग्राम पंचायत रीठी सिकंदरपुर में ग्रामीण समस्या को लेकर ब्लॉक स्तर और तहसील स्तर के कर्मचारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही थी, इससे हताश और निराश ग्रामीणों ने अधिकारियों के दांत खट्टे कर दिये, ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने ब्लाक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से आवागमन हेतु इण्टर लाकिंग की मांग करते करते जब हार गए तो ग्रामीणों ने चंदा लगाकर खड़ंजा रास्ते का निर्माण कर दिया और आवागमन दुरूस्त करवा लिया।
जानकारी के अनुसार रीठी सिकंदरपुर ग्राम पंचायत में ब्लाक अधिकारी भले ही कागजों पर विकास की गंगा बहाने का दावा कर रहे हो लेकिन वास्तिविकता कोसो दूर है। पहली बरसात में गांव की सड़के कीचड़ और फिसलन युक्त तो हो ही गई, वही अधिकांश गलियारे जल निगम कर्मियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गये है। बताते चले कि बरसात से पूर्व उच्चाधिकारियों ने ब्लाक अधिकारियों को बारिश से पूर्व जनमानस की समस्याओं से निपटने का आदेश दिया था लेकिन अधिकारियों का आदेश हवा हवाई साबित हो रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण रीठी सिकंदरपुर में देखने को मिला। उक्त ग्रामसभा के ग्रामीण बीते कई माह पूर्व से शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और ब्लाक अधिकारियों से इंटर लाकिंग अथवा खडंजा लगवाने की गुहार लगा रहे थे। गुहार लगाते लगाते अधिकारियों के पास प्रार्थना पत्रों के ढेर लग गये लेकिन उनकी समस्या को सभी ने नजर अंदाज कर दिया। हर तरफ से निराश हो चुके ग्रामीणों की समस्या जब कहीं नही सुनी गई तो ग्रामीणों ने आपस में चंदा लगाने की ठान ली जिसके बाद सभी ग्रमीणों ने चंदा इक्ट्ठा किया और लगभग 10 हजार ईट मंगाकर खण्डजा का निर्माण करवा कर ब्लाक अधिकारियों को संदेश दे दिया कि एकता में बहुत शक्ति है। कपुरवा गांव निवासी सेवानिवृत प्रधानाध्यापक रविमणि चतुर्वेदी ने बताया कि तारागंज, भियामऊ, सिकंदरपुर, रीठी, कपुरवा मिलाकर पांच गांव वाली ग्राम पंचायत पंचायत रीठी सिकंदरपुर भले ही कागजो में सिकंदर हो लेकिन यहाँ अगर विकास की बात करें तो विकास नाम मात्र हुआ है। हाल ही मे ग्राम प्रधान की मौत के बाद से आज तक त्रिसदस्यीय टीम का गठन तक नही हो पाया है, जिससे ग्रामीणो को काफी समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है। श्री चतुर्वेदी ने बताया की सबसे बड़ी समस्या तो कपुरवा गांव की है जहाँ 25 घरों के 200 से ज्यादा लोग निवास करते हैं और रोजाना गांव आने वाले एक मात्र रास्ते में भयानक स्थिति थी, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से होकर गांव को रास्ता जाता है, एक्सप्रेस वे के ठेकेदारो द्वारा सर्विस रोड़ से कम से कम 10 मीटर पक्की होनी चाहिए थी लेकिन वह सब अपना काम बनाकर चले गए। कच्ची पटाई होने के चलते मामूली बरसात में रास्ता फिसलन की वजह से और भी खतरनाक हो जाता है जिसपर फिसल कर अब तक काफी संख्या में ग्रामीण चोटिल हो गए। गांव के अन्य ग्रामीणों ने बताया कि मार्ग को दुरूस्त करवाने के लिए ब्लाक के उच्चाधिकारियों को दर्जनो बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नही की। ग्रामीणों ने आगे बताया कि यदि हम लोग चंदा लगाकर खडंजा ना लगवाते तो आने वाले समय में निश्चित ही कोई बड़ी दुर्घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता था!