श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र बनी तपोभूमि सर्रा बाबा की कुटी

शिवगढ़,रायबरेली। क्षेत्र के ग्राम पंचायत बैंती स्थित साधू संतों की पवन तपोभूमि सर्रा बाबा की कुटी करीब 300 वर्षों से श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र बनी हुई है। बड़े बुजुर्गों की माने तो बैंती में भवानीगढ़ सूरजपुर सम्पर्क मार्ग के किनारे स्थित सर्रा बाबा की कुटी के स्थान पर एक घना जंगल था। जहां रात में जाना तो दूर की बात अकेले दिन में जाने में जाने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ती थी। जहाँ बजरंगबली का प्राचीन कालीन एक छोटा सा मन्दिर था। जिसके पास स्थित सैकड़ों पुराने पारस पीपल के पेड़ था जिसके नीचे बैठकर बाल ब्रह्मचारी दीनदयाल साहब ने करीब 60 वर्षों तक बजरंगबली की कठोर तपस्या की थी।

दीनदयाल साहब की लम्बाई करीब 7 फुट थी जिसके चलते वे सर्रा बाबा के नाम से विख्यात हो गए और सर्रा बाबा के नाम से ही कुटी का नाम पड़ गया। जिनके निधन के पश्चात उनके शिष्य बालक दास साहब ने करीब 50 वर्षों तक तपस्या की। जिसके पश्चात उनके शिष्य बालदास साहब ने करीब 45 वर्षों तक पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर कठोर तप किया। जिनके निधन के पश्चात उनके शिष्य श्यामसुन्दर दास साहब ने लगभग 50 वर्षों तक कुटी में तप करते हुए बजरंगबली की उपासना की। जिनका हाल ही में कुछ वर्ष पूर्व निधन हो गया है। इसके अलावा कई साधु सन्तों ने इस तपोभूमि में रहकर अपनी अंतिम सांस तक तप किया।

वर्तमान समय में कुटी में गुरुप्रसाद दास को जहां गद्दीधर घर बनाया गया है तो वहीं पुजारी की जिम्मेदारी पुत्तन दास को सौंपी गई है। बताते हैं कि घने जंगल के चलते कई दशक तक कुटी ऐसे ही सूनी पड़ी रही। कुटी के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था होने के कारण वर्तमान समय में बजरंगबली के एक भव्य विशाल मन्दिर का निर्माण कराया जा रहा है। मान्यता है कि बाबा की कुटी में सच्चे मन से आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

सर्रा बाबा की कुटी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लेते थे शरण

गांव के ही पावन बाजपेई बताते हैं कि सर्रा बाबा की कुटी घने जंगल में होने के कारण अंग्रेज वहां नही जाते थे। जिसके चलते कुटी में जगदीशपुर और रायबरेली के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रुककर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाते थे और अपने मकसद को अंजाम देने के बाद फिर रात में यहीं विश्राम करते थे। जिनमें बैंती गांव के रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं बैंती ग्राम पंचायत के प्रथम प्रधान मथुरा प्रसाद जायसवाल भी शामिल थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मथुरा प्रसाद जायसवाल को जेल भी जाना किन्तु उन्होंने अंग्रेजों की बगावत नही छोड़ी। इस कार्य के लिए देश की आजादी के बाद उन्हें सरकार द्वारा पेंशन भी दी गई।

जेष्ठ मास के अन्तिम बड़े मंगल को होगा सर्रा बाबा की कुटी पर विशाल भण्डारा

हर साल की तरह जेष्ठ मांस के अंतिम बड़े मंगल पर आगामी 30 मई 2023 को विशाल भण्डारे का आयोजन किया जायेगा। जिसकी जानकारी आयोजक कमेटी के पदाधिकारी अमित गुप्ता द्वारा दी गई।

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