कार्तिक मास में क्यों मनाया जाता है एकादशी का पर्व

  • कार्तिक मास में क्यों मनाया जाता है एकादशी का पर्व

श्री ऑनलाइन डेस्क : बताया जाता है कि इस मास में भगवान कार्तिकेय जो भगवान शंकर के पुत्र थे कहा जाता है इसी माह से भगवान कार्तिकेय तारकासुर का वध किया था क्योंकि तारकासुर एक विशाल राक्षस  था जिससे समस्त लोग दुखी थे वह परेशान थे और प्रत्येक घर में भगवान अपनी कृपा दृष्टि डालते हैं और  और जो दरिद्र देवता है उनको घर से बाहर भगाते हैं और साल में तीन एकादशी व्रत थी जिसमें सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती कहा जाता है कि साल की दो एकादशी का व्रत अगर ना करें लेकिन इस एकादशी का व्रत और पूजा कर ले तो साल भर की जितनी भी एकादशी का फल होता है इसलिए का दसवीं में मिल जाता है विधिपूर्वक साथ  करने से इसका फल बहुत ही सुखदाई होता है जिसमें की कार्तिक मास की एकादशी सबसे महत्वपूर्ण है।

इसी दिन समस्त औरतें अपने घर में मनसा माता की पूजा भी करती है मान्यता करके औरतों को बुलाकर के माता की  विधिपूर्वक करती हैं  मनसा माता की पूजा इसी दिन श्रद्धा और भक्ति   पूजा करती हैं मनसा देवी उनकी सारी मुरादें माता मनसा देवी पूरा करती हैं मनसा देवी की पूजा विधि मनसा देवी की पूजा करने के लिए सबसे पहले आम की लकड़ी से बना एक पटा ले उस पर लाल रंग का कपड़ा डालकर उसे माता मनसा देवी की प्रतिमा रखे और तांबे के एक लोटे में कलश स्थापना करें उसके बाद धूप दीप नैवेद्य से माता की पूजा करें और इसमें भोग के लिए खोया और चीनी की मिठाई बनाकर मान्यता के अनुसार 1121 सुहागिनों को बुलाकर माता मनसा की कथा पढ़कर पूजा करनी चाहिए।

महिलाओं को कम से कम ढाई सौ ग्राम मिठाई दे और सभी महिलाएं पूजा करने के बाद समस्त मिठाई को बैठकर खाना चाहिए यह पूजा वर्ष में एक बार ही मनाई जाति इस पूजा की हुई मान्यता के अनुसार ही करना चाहिए और एकादशी एकादशी के रूप में मनाया जाता है सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला मनसा देवी की कथा कहा जाता है कि एक समय चल रहा था तब ब्रह्माजी ने जगत में सर्वबहुत ज्यादा बढ़ गए हैं अतः आप जरूर जरूर कारूऋषि की पत्नी का नाम भी जरूर कारूहोगा उसकी बहन होगी उसके घर से आस्तिकका जन्म होगा और वहीं सर्पों को मुक्त करेगा वेलापत्रक  मेरे विचार से भी आपकी बहन जी का विवाह जरूर इसी से ही होना चाहिए तथा मांगने आए तो उस समय आप अपनी बहन के दीक्षारूप में दे दे थोड़े दिन बाद बात पड़ी रही तभी समुद्र मंथन में मथनेवाली रस्सी से बांध लिया और ब्रह्मा जी के पास ले गए और उनसे वही बात का का हलवा दिया उनकी खोज कर दिया यह भी बताया गया कि विवाह करना चाह रहे थे विवाह के लिए तैयार हो उसी समय आकर हमें सूचना दें और इस कथा में महाभारत  कथा के अनुसार जरत्कारु ऋषि की पत्नीबाद में मनसा देवी के नाम से जाने जाते।

 कथा के अनुसार माता मनसा जो भगवान शंकर की पुत्री थी और उन्हें भी प्रयास किया था मुझे मेरे नाम वाली स्त्री मिल जाए और वह भी मुझे भिक्षा की तरह ही मिले क्योंकि वह चाहते थे कि अगर मुझे कन्या के रूप में मिलेगी तो उसके भरण पोषण का भार  मुझ पर नहीं रहेगा तब मैं उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करके उससे विवाह कर लूंगा और मैं अपने पितरों का उद्धार स्वयं ऋषि की बहन जरत्कारु का नाम सबकी मनस पूरी करने के कारण माता को मनसा देवी के रूप से विख्यात मिली।

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