शिवपाल-आजम खान को क्यों नहीं मना रहे अखिलेश यादव, जानें इसके पीछे की ये बड़ी अवस्था

यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सपा में हलचल मची हुई है. सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के चाचा व प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव बगावत का मौन ऐलान कर चुके हैं. जेल में बंद सपा के सबसे कद्दावर मुस्लिम चेहरा आजम खान का परिवार भी अखिलेश की बेरुखी से काफी दुखी हैं.

चर्चा यह भी है कि शिवपाल सिंह यादव व आजम खान साथ आकर किसी नए मोर्चे का गठन कर सकते हैं. इस बीच एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या अखिलेश इन्हें मनाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं? और यदि नहीं कर रहे हैं तो इसके पीछे क्या बड़ी वजह हो सकती है.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा में भी कांग्रेस की तरह युवा बनाम प्रौढ़ की एक जंग है. मुलायम सिंह यादव ने जब से सक्रिय राजनीति से दूरी बनाने की शुरुआत की तभी से विरासत की यह जंग चल रही है.

साल 2012 में सपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद मुलायम सिंह यादव ने बेटे टीपू को अवध की गद्दी पर बिठा तो दिया, लेकिन वह एक ऐसे ‘सुल्तान’ बने रहे जिनके सेनापति और दीवान उनसे अधिक ताकतवर थे. इनमें शिवपाल व आजम खान भी शामिल थे. उस दौरान यह भी कहा जाता था कि यूपी में साढ़े चार सीएम हैं, जिनमें अखिलेश आधे ही थे.

यूपी की राजनीति को लगभग देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति शास्त्र के जानकार कहते हैं कि अखिलेश यादव लंबे समय से इन नेताओं की छाया से निकलने की कोशिश में हैं. यही वजह है कि हाल के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नई सपा का नारा दिया था.

हालांकि, वह जनता को विश्वास नहीं दिला पाए और यही वजह है कि प्रदर्शन में सुधार के बावजूद वह सत्ता से दूर रह गए. अब वह एक ऐसी सपा बनाना चाहते हैं, जिसमें सिर्फ उनकी चले.

”अखिलेश यादव बहुत स्ट्रॉन्ग माइंड के व्यक्ति हैं. उन्होंने कुछ सोचा है या जो उनको सलाह दी गई है कि ‘नई सपा’ ही उनका फ्यूचर ठीक कर सकती है. पुरानी सपा’ में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, यादवों की पार्टी की जो छवि बन गई थी, अखिलेश उसे तोड़ने की प्रयास में हैं.

वह गैर यादव जातियों पर फोकस कर रहे हैं. जिन वर्गों पर सपा की पकड़ लंबे समय से कायम है, अब उन पर कुछ कम फोकस करके दूसरे वर्गों को साथ जोड़ने की कोशिश में अखिलेश यादव दिखते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *