Sakat Chauth 2025: इस कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत, पूजा के समय जरूर करें इसका पाठ
Sakat Chauth Vrat Katha: वर्तमान में नववर्ष का पहला माह यानी जनवरी जारी है, इस माह में लोहड़ी, पोंगल और मकर संक्रांति जैसे बड़े पर्व मनाए जाएंगे, जो सभी के लिए बेहद खास है। हालांकि यह माह महिलाओं के लिए और भी शुभ माना जा रहा है।
Sakat Chauth Vrat Katha: वर्तमान में नववर्ष का पहला माह यानी जनवरी जारी है, इस माह में लोहड़ी, पोंगल और मकर संक्रांति जैसे बड़े पर्व मनाए जाएंगे, जो सभी के लिए बेहद खास है। हालांकि यह माह महिलाओं के लिए और भी शुभ माना जा रहा है। दरअसल, जनवरी माह में सकट चौथ का व्रत भी रखा जाएगा, जो संतान की लंबी उम्र व अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है, इस दिन महिलाएं विधि अनुसार भगवान गणेश और माता सकट की पूजा करती हैं, इतना ही नहीं सकट के दिन निर्जला उपवास भी किया जाता है जिसका पारण चांद निकलने पर होता है।
पंचांग के अनुसार 17 जनवरी 2025 को सकट चौथ का पर्व मनाया जाएगा, जिसे तिलकुटा चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि जो भी महिला सकट का व्रत रखती है उन्हें सकट व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए, इससे संतान के जीवन और परिवार दोनों में सुख-समृद्धि का वास होता है। ऐसे में आइए इस कथा के बारे में जानते हैं।
सकट चौथ व्रत कथा
सकट का व्रत भगवान गणेश की पूजा को समर्पित होता है। कहा जाता है कि यदि सच्चे भाव से सकट का उपवास रखा जाए तो संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, लेकिन इस दिन सकट व्रत कथा का पाठ करना बेहद जरूरी होता है, इससे उपवास का संपूर्ण फल प्राप्त होता है, सकट के व्रत की कथा को लेकर कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव जी ने कार्तिकेय और गणेश जी से पूछा कि तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है ? शिव जी की यह बात सुनकर दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम समझा।
गणेश जी और कार्तिकेय के जवाब सुनकर महादेव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी पहले इस पृथ्वी की परिक्रमा करके वापिस लोटेगा वहीं देवताओं की मदद करने जाएगा।
शिव जी के इस वचन को सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए…लेकिन इस दौरान भगवान गणेश विचारमग्न हो गए कि वे चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इसमें बहुत समय लग जाएगा।
इस समय गणेश जी को फिर एक उपाय सूझा…..वह अपने स्थान से उठकर अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। वहीं पृथ्वी की पूरी परिक्रमा करके कार्तिकेय भी लौट आए और स्वयं को विजय बताने लगे, फिर जब भोलेनाथ ने गणेश जी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा, तो गणेश जी ने अपने उत्तर मे कहा कि-‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।