“ज़िंदगी तेरी-मेरी कहानी” | कविताओं का संग्रह | रिचा अग्रवाल

Book Review: पुस्तक “ज़िंदगी तेरी-मेरी कहानी” की लेखिका रिचा अग्रवाल जी का मानना है कि किसी भी कहानी पर कभी पूर्ण विराम नहीं लगाया जा सकता है। उसमें हमेशा कुछ ना कुछ कहने और सुनने के लिए रह ही जाता है।

वो कहती हैं कि इस किताब के जरिए मेरे हिस्से की कहानी मैंने कह दी, बाकी बची उन अधूरी कविताओं और कहानियों को पूरा करने और अपनी खुद की एक नयी कहानी लिखने की ज़िम्मेदारी अब आपकी।

एक ऐसी कहानी जिसे आप हकीकत में जीना चाहते हो।

एक ऐसी कहानी जो बेशक ख़त्म हो जाये, पर लोगों के जेहन में आपका निभाया हुआ किरदार जिंदा रहे।

किताब के बारे में

“ज़िंदगी तेरी-मेरी कहानी” किताब वैसे तो कविताओं का संग्रह है पर ये कविताएं उन लयबद्ध कविताओं से थोड़ी अलग हैं जो हम बचपन में पढ़ा करते थे; क्योंकि इसमें हर कविता खुद में एक कहानी समेटे हुए है। ऐसी कहानी जो फिसलते वक़्त की रेत पर ज़िंदगी के कुछ कहे-अनकहे एहसासों को बयां करती है। इस कहानी में प्यार के रंग हैं, बीते वक़्त की यादें हैं, ज़िंदगी से कुछ शिकायतें और उम्मीदें हैं और साथ ही बदलते समाज का आईना भी।

 

झाँक कर देखिएगा हर कहानी की रूह में, आपको लगेगा जैसे किसी ने आपके भीतर की ख़ामोशी को शब्दों का रूप दे कागज़ पर उतार दिया हो।

 

किताब अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर फ्री डिलिवरी के साथ उपलब्ध है।

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लेखिका का परिचय:

 

रिश्तों को अपनी ज़िन्दगी का आधार मानती हैं

और दिल में कुछ बड़ा कर दिखाने का जुनून और हौसला रखती हैं।

लेखिका रिचा अग्रवाल एक माँ, एक शिक्षिका, एक पाठक और एक सरल लेखिका हैं। रसायन विज्ञान और शिक्षा में मास्टर डिग्री के साथ, वैज्ञानिक तथ्यों और मनोविज्ञान के सिद्धांतों के बारे में अधिक जानने में इनकी गहरी रुचि है। इनके द्वारा लिखे गए कई शोध पत्र और लेख अंतरराष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं और जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।

 

खुद को जानने और अभिव्यक्त करने के लिए ये लेखन को सबसे उपयुक्त माध्यम मानती हैं। साथ ही इन्हें सामाजिक मुद्दों और संवेदनशील विषयों पर भी लिखना पसंद है।

 

उनकी जीवनपर्यंत इच्छा अपने लेखन के माध्यम से लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की है। “ज़िंदगी तेरी-मेरी कहानी” इनकी लिखी पहली हिंदी किताब है जो अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है।

 

उनका मानना है कि इस दुनिया को और भी खुशनुमा बनाया जा सकता है बशर्ते यहाँ के लोग जजमेंटल होने के बजाय अधिक सहानुभूतिपूर्ण हों।

 

पढ़ने और लिखने के साथ-साथ उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताना, डिस्कवरी चैनल देखना, पुराने हिंदी गाने सुनना और समान विचारधारा वाले लोगों के साथ बातचीत करना पसंद है।

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