रायबरेली : झंडे स्वरबाबा का मंदिर व स्थान क्या है इन की महिमा

जनेश्वर बाबा का निर्माण कैसे हुआ क्या है इनकी मान्यता

रायबरेली जिले के लालू पुर ग्राम सभा के ढोंढारी गांव में बना झंडे सर बाबा का शिव मंदिर कहा जाता है कि पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि नदी के किनारे एक विशाल बरगद का पेड़ था ।जो कि गांव के ही गिरी महाराज कथावृद्ध लोग कहते हैं कि समय के अनुसार उनका शरीर बेहद दुबला और कमजोर पड़ गया था ।और उनके शरीर में कीड़े पड़ गए थे क्योंकि वह कीड़े जब शरीर से बाहर रेंगने लगते थे तो वह कीड़े उठाकर अपने हाथों से अपने शरीर में दोबारा डाल देते थे और कहते थे कि यही तो हमारे साथी हैं हमारे साथ कोई नहीं जाएगा यह साथी हमारे ऐसे हैं कि यह हमारे साथ जाएंगे मैं इनको किसी दूसरे के लिए नहीं छोडूंगा कहा जाता है कि गोसाई जो होता है ।

झंडे स्वरबाबा का मंदिर व स्थान क्या है इन की महिमा

वह भगवान शिव का अनन्य भक्त होता है अगर भगवान शंकर की पूजा करे तो उसका जो दान दक्षिणा होता है वह गुसाई को देना चाहिए क्योंकि अगर उसका दान गोसाई को ना देकर अन्य किसी को दिया जाएगा तो उसका फल नहीं मिलता है कहा जाता है कि भगवान शंकर पर चढ़े पैसे कभी नहीं लेना चाहिए क्योंकि वह पैसा गोसाई का है अगर वह पैसा कोई दूसरा लेता है तो जीवन भर कंगाल रहता है और भगवान शंकर पर चढ़ाया प्रसाद लेने से इंसान को कुष्ठ रोग हो जाता है।

भगवान शंकर के कपड़े लेने से इंसान की आकाश मिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इसलिए कहा जाता है कि जिस का हक जहां है उसे वहीं पर मिलना चाहिए किसी भी वस्तु को जबरदस्ती नहीं लेना चाहिए इतना कहकर गिरी महाराज ने जिंदा समाधि ले ली जिंदा समाधि लेने के कुछ उपरांत ही वहां पर एक शिवलिंग प्रगट हुई ग्राम वासियों को यह देखकर बहुत ही आश्चर्य कि यह चमत्कार कैसे हुए सभी ग्राम वासियों और क्षेत्र वासियों ने वहां पर एक शिव का मंदिर बनवा दिया था और लोगों का कहना है कि मंदिर की पूजा रात में गिरी महाराज ही करते थे ।

कुछ दिन बीतने के बाद अचानक नदी में बाढ़ आ गई और बरगद का पेड़ बह गया था मंदिर भी नदी में बह गया था लेकिन भगवान शिव का शिवलिंग बच गया था तब ग्राम वासियों ने सोचा कि क्यों न इसे फिर से बनवाया जाए और मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर देगा तब न्यू की खुदाई शुरू कर दी गई और न्यू इतनी गहरी को दी गई जिसमें कि 2 माह का के बराबर न्यू कह रही थी गई तब उसने एक काला नाग बहुत ही पुराना सर्प निकला और वह शिवलिंग के ऊपर जाकर बैठ गया और वह शिवलिंग पर तीन-चार दिनों तक बैठा रहा जाता है.

गांव के व्यक्ति थे जिनका पुत्र काफी बीमार था और वह व्यक्ति बहुत इलाज करा कर थक गया था तब उस व्यक्ति ने अपने पुत्र को वही मंदिर में लिटा दिया और कहा कि मेरे भगवान अब तुम्हारा ही सहारा है इसे ठीक करो या इसको अपने गोद में ले लो उसके बाद उसका पुत्र ठीक हो गया और काफी लोगों की मान्यता भगवान जंभेश्वर ने पूरी की और फिर वहां एक मंदिर बन गया अब उस मंदिर में श्रद्धालु लोग आते हैं और जो भी भगवान जंभेश्वर के मंदिर में मांगते हैं भगवान उसे पूरा कर देते तब से उस मंदिर में हर प्रत्येक शिवरात्रि को रामचरितमानस का पाठ किया जाता है भंडारा किया जाता है ।

प्रत्येक शनिवार मंगलवार को सुंदरकांड किया जाता है और वर्ष में दो से तीन बार भंडारे का आयोजन किया जाता है बहुत श्रद्धालु लोग उन्हें अपना कुलदेवता मानते हैं और यहीं पर मुंडन संस्कार करते हैं बताया जाता है जब व्यक्ति हर जगह से निराश हो जाता है और यहां आकर अपनी करता है तो उसकी विनती और पुकार अवश्य सुनते हैं

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