Raebareli news : आठ दिन से नहीं दिखा सूरज, ठिठुरन बढ़ी
रायबरेली। शीतलहर कम नहीं हो रही है। जिले में आठ दिनों से सूर्य के दर्शन भी नहीं हुए। हालत यह है कि घर के बाहर जहां शीतलहर का कहर है वहीं घर के भीतर भी राहत नहीं मिल रही। घर भी इन दिनों कोल्ड स्टोरेज सरीखे ठंडे हो गए हैं। हर कोई ठंड और गलन से परेशान है। चाहे शहर हो या गांव, लोग सर्दी से उकता गए हैं। वहीं पाला गिरने से आलू और सब्जी की फसलों पर आफत आ गई है। किसान परेशान हैं कि मौसम न बदला तो आलू की फसल का बर्बाद होना तय है।
जनवरी में सर्दी बेरहम हो गई है। हर किसी की जुबां पर सर्दी के सितम की ही चर्चा है। सुबह से लेकर रात तक धुंध छाई रहती है। पाला गिरने के साथ गलन के जोर बना हुआ है। रविवार को सर्दी का प्रकोप इस कदर रहा कि सुबह सात बजे तक सड़कों, गली मोहल्लों में भी सन्नाटा पसरा रहा। कड़ाके की सर्दी के कारण अधिकांश लाेग सुबह टहलने भी नहीं निकले। घने कोहरे के चलते दृश्यता बेहद कम रही। इसके बाद सुबह दस बजे से कोहरा कम हुआ तो धुंध छाई रही।
दोपहर में कुछ देर के लिए बहुत हल्की धूप निकली। इसके बाद गलन का असर और बढ़ गया है। शाम चार बजे के शीतलहर फिर हावी हो गई। लोग ठंड से कांपते नजर आए। गर्म कपड़े पहनने के बाद भी गलन तीर की तरह शरीर में चुभती रही। ग्रामीण क्षेत्रों में बर्फीली हवा से लोग परेशान रहे। गांव के गलियारे भी सूने रहे।
विवार को अधिकतम तापमान 17.6 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 5.6 डिग्री दर्ज हुआ। इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी फुरसतगंज के मौसम विशेषज्ञ दीतेंद्र सिंह के मुताबिक सर्दी कम होने की उम्मीद नहीं है। कोहरा आने वाले दिनों में और घना होगा।
पाला पड़ने से आलू और मटर को नुकसान
सरेनी के किसान तोशू, शशि, मनारे सिंह का कहना है कि बढ़ती ठंड से सरसों की फसल में भारी नुकसान हो सकता है। इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र दरियापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर एके त्रिपाठी का कहना है कि पाला गिरने से आलू, सरसों व अरहर को नुकसान होगा। मटर की फसल में पावडरी मिल्ड्यु रोग लगने की संभावना है।
जिला उद्यान अधिकारी जयराम वर्मा ने बताया कि रोगग्रस्त पौधों की टहनियों पर जो फलियां आती है वे प्रायः बहुत छोटी व सिकुड़ी होती हैं। फलियां पकने से पहले ही सूख कर नीचे गिर जाती हैं। इसके नियंत्रण के लिए जिनेब 75 प्रति. डब्लूपी की 2 किग्रा. अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रति. डब्ल्यूपी की 3 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव जरूरी है।
सार्वजनिक स्थानों पर नहीं जले अलाव
भीषण ठंड व शीतलहर के कारण लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। वहीं प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर भी अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की है, जिससे लोगों में नाराजगी बनी हुई है। कस्बे के जगतपुर चौराहा, लक्ष्मणपुर बाजार, जिगना, विश्वनाथगंज माधवपुर, नवाबगंज सहित कई सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था तहसील प्रशासन ने नहीं की है जिसके कारण लोग राहत के लिए भटक रहे हैं।