आतंकियों की हिट लिस्ट में थे नूपुर समर्थक, तालिबान के नक्शे कदम पर चलने की थी योजना
भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को समर्थन देने वाले आतंकियों की हिट लिस्ट में थे। पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद से आतंकियों ने नूपुर के समर्थकों को सबक सिखाने की ठान ली थी। देश में भी इस विचार के खिलाफ एक समर्थक और दूसरा विरोधी गुट बन गया। बयान के बाद नफरत की आग ऐसी फैली कि आतंकी भी इस विवाद में अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए तालिबान के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश में थे। जांच के दौरान एजेंसियों को ये जानकारी मिल रही है।
अब तक की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही है। नूपुर के बयान के बाद से राजस्थान के उदयपुर में केवल कन्हैयालाल ही कट्टरपंथियों के निशाने पर नहीं था। पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी और आतंकियों ने राजस्थान में 40 कट्टरपंथियों की टीम तैयार कर ली थी। इस टीम का काम नूपुर के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों को निशाना बनाना था। इनकी सोच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन लोगों की टीम ने नूपुर के समर्थकों का सिर कलम करने की तक तैयारी कर ली गई थी। एनआईए और एटीएस की शुरुआती जांच में इस बात का खुलासा हुआ है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसका टॉरगेट दावत-ए-इस्लामी से जुड़े 6 जिलों के लोगों को मिला था। कन्हैया की हत्या करने वाले आतंकी रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद की कॉल डिटेल से ऐसे ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पाकिस्तान के 10 लोगों के 20 मोबाइल नंबर की भी जांच इस सिलसिले में की गयी है। कट्टरपंथियों को ये टारगेट मिला था कि जिस तरह तालिबान में सिर कलम कर वीडियो वायरल किया जाता है, उसी तरह भारत में भी दहशत फैलाएं।
इस बीच एनआईए की जांच लगातार जारी है। एनआईए ने उदयपुर में पूछताछ को और तेज किया है। मंगलवार को ही उदयपुर में एनआईए ने 6 लोगों से पूछताछ की। जिन लोगों से पूछताछ हुई, उनका नाम अंजुमन तालिमुल इस्लाम के सदर मुजीब सिद्दिकी, मौलाना जुलकरनैन, पूर्व सदर खलील अहमद, सह-सचिव उमर फारुक और दो वकील शामिल हैं। एनआई ए ने इनको हिरासत में लेकर पूछताछ की और सदर मुजीब के घर तलाशी भी ली। एनआईए की जांच में ये भी सामने आया कि अजमेर में आपत्तिजनक धार्मिक किताबें बिक रही हैं। दावत-ए-इस्लामी ने ही ये किताबें बेचने के लिए यहां दुकानें खोली थीं। वह एक बुक सेलर को रोज 350 रुपए की रिश्वत देते थे। रियाज और गौस यहीं से लोगों को किताबें बांटते थे।