Married women pray for the long life of their husbands by observing Vat Savitri fast.

सुहागिन स्त्रियों ने वट सावित्री व्रत रखकर की पति की दीर्घायु की कामना

यम देव से की सुहाग को अखण्ड और अक्षुण्य बनाए रखने की कामना

शिवगढ़ (रायबरेली) :  पति की दीर्घायु सेहत-नेमत एवं सलामती की कामना के साथ गुरुवार को सुहागिन स्त्रियों ने सोलह श्रृगांर करके विधि विधान पूर्वक वट सावित्री की पूजा-अर्चना की। क्षेत्र के बैंती,शिवली, देहली,शिवगढ़,पिपरी, ओसाह, गूढ़ा,गुमावां,बेड़ारु, चितवनियां,पिण्डौली, बंकागढ़,नरायनपुर, खजुरों,भौसी,रानीखेड़ा, सीवन,बहुदा खुर्द,पिपरी,सराय छत्रधारी,गोविंदपुर सहित गावों में सुबह 6 बजे से ही सुहागिन स्त्रियों ने बांस का पंखा,धूप,दीप,घी-बाती,लाल वस्त्र,पीत वस्त्र,कलावा,सूत, पुष्प,फल,कुमकुम,रोली, सिन्दूर, गुलगुले, पूड़ी,पुवा,चना,बरगद की कोपल,जल इत्यादि पूजा सामग्री के साथ वटवृक्ष की पूजा अर्चना शुरू कर दी। विदित हो कि प्रतिवर्ष जेष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत पूजन किया जाता है।

वट सावित्री व्रत को स्त्रियां विशेष पर्व के रूप में मनाती हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखकर वट सावित्री की पूजा करती हैं। वट वृक्ष का विधिवत पूजन कर 11, 21 या 108 परिक्रमा करते हुए भगवान विष्णु और यम देव से सुहाग को अखण्ड और अक्षुण्य बनाए रखने की कामना करती हैं। मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजन एवं व्रत कथा करने एवं सुनने से मनोकामना पूर्ण होती। वटवृक्ष का पूजन सत्यवान – सावित्री की कथा का स्मरण कराता है जिसके कारण इसे वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता। सावित्री को भारतीय संस्कृति में आदर्श चरित्रवान नारी और पतिव्रता माना गया है।

जो पति के प्राणों की रक्षा के लिए वो यमराज के पीछे पड़ गईं थी और अपने पति को जीवनदान देने के लिए यमराज को विवश कर दिया था। इस वजह से हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि वट सावित्री पूजा लम्बी आयु, सुख-समृद्धि और अखण्ड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह की कलह और संताप मिटाने वाली होती है। कुछ सुहागन स्त्रियों ने वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना की तो वहीं कुछ स्त्रियों ने बरगद की टहनी मंगाकर अपने घर में ही टहनी की विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना करके अपना व्रत पूरा किया। बैंती में मस्जिद के पास स्थित वट वृक्ष की पूजा करने के लिए सुबह से ही सुहागिन स्त्रियों की भीड़ जुटी रही। सैकड़ों सुहागिन स्त्रियों ने विधि-विधान पूर्वक वट वृक्ष की पूजा कर अपना व्रत पूरा किया।

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