भक्त प्रहलाद का प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
- लाही बॉर्डर गुमावा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा
शिवगढ़ (रायबरेली) क्षेत्र के लाही बार्डर गुमावां में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भक्त प्रह्लाद प्रसंग की कथा सुनाई गई। सीतापुर से आए कथा व्यास सरोज शास्त्री ने अपनी अमृतमयी वाणी से कथा का रसपान करते हुए कहा कि भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रह्लाद के कई कष्ट दूर हो गए थे।
इसके उपरान्त उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पावन लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को जो धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाता है, वह जीवन भर उसका स्मरण करते हैं। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ।
इसके साथ ही उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य भोगने का वरदान प्राप्त हुआ था। ऐसी ही कई मिसालें हैं, जिससे सीख लेने की जरूरत है। इस मौके पर पंडित लालमन शुक्ला, पार्वती शुक्ल, आनंद कुमार शुक्ला, लवलेश शुक्ला, सोनू पांडेय, शिवशंकर सिंह, सूर्य मान सिंह, विनोद यादव, रिंकू मौर्या, कन्हैया आदि मौजूद रहे।
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी