मिर्च मसाला छोड़ अब शादियों में भा रहा सादा भोजन

रायबरेली। सहालग के सीजन में अब देसी के साथ सेहत के लिए सुरक्षित भोजन का प्रचलन भी तेजी से बढ़ने लगा है। लोग मिर्च-मसाले व तली-भुनी खाद्य सामग्री की जगह कम मसाला युक्त सेहतमंद आइटम को ज्यादा पसंद करने लगे हैं। इस कारण भोज में बाटी चोखा, डोसा, मक्का की रोटी सरसों के सांग का स्टाल लगवाने की अलग से डिमांड होने लगी है।

सहालग में सजावट, बैंड-बाजे और सवारी के बाद मेहमानों की नजरें सबसे ज्यादा शानदार और स्वादिष्ट मेन्यू पर रहती हैं। ऐसे में पारंपरिक और प्रादेशिक व्यंजनों का मेल मेहमानों को हर शादी में नया अनुभव दे रहा है। हर बार की तरह इस बार भी सहालग शुरू होने पर कैटरर्स ने मेन्यू में कई नई और खास डिश शामिल की हैं, जो शादी के उत्सव को और यादगार बना रही हैं।

अब मेन्यू सिर्फ पारंपरिक भारतीय व्यंजनों तक सीमित नहीं रहा। जिन घरों में शादी है वह सबसे पहले बेहतर कैटरर्स की खोज करते हैं। कैटरर्स के काम से जुड़े राधे लाल व शिव विलास का कहना है कि शहरों में लोग प्लेट के अनुसार बुकिंग तय कर रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोग संख्या के अनुसार ही लगन बुक करा रहे हैं।

इसमें मटर पनीर, छोला के अलावा शाही पनीर की मांग अधिक रहती है। इसके साथ ही चायनीज फूड के साथ चोखा बाटी, सरसों का सांग व मक्के की रोटी, वेज कबाब पराठा व डोसा का चलन भी तेजी से बढ़ा है। मिठाई में कई वैरायटी आई, लेकिन गुलाब जामुन व रबड़ी इमरती का क्रेज अभी भी शहरों से लेकर गांव तक में कायम बना है।

राही ब्लाक के भनुआ के राम विलास का कहना है कि अब लोग खान पान को लेकर सजग हो गए हैं। अधिक तेल मसाले का प्रयोग न करने ताकीद पहले ही कर दी जाती है। शादी विवाह के आयोजन में खाना बनाने वाले कारीगरों की बुकिंग मार्च तक फुल हो गई है।

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