क्या है महत्त्व कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का

कार्तिक पूर्णिमा को क्यों करते हैं लोग गंगा स्नान

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श्री डेस्क: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष को पूर्णिमा तिथि होती है और आज के दिन कार्तिक महीने का आखिरी दिन होता है शास्त्रों में बताया गया है कि यह दिन पूर्णिमा का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है और इस दिन गंगा स्नान कर लिया फिर किसी भी नदी में स्नान करना अति महत्वपूर्ण है शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से हमारे सारे पापों से हमें मुक्ति मिलती है और आज के दिन शाम के समय गंगा नदी में दीपदान अवश्य करना चाहिए क्योंकि कार्तिक माह में प्रत्येक दिन सभी अपने घरों में दीप जलाते हैं और दीप उत्सव मनाते हैं ।

कार्तिक पूर्णिमा से दीपदान जलाने का क्रम शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा से दीपदान का अंतिम दिन होता है आज के दिन सभी श्रद्धालु भाई-बहन  बड़े हर्ष उल्लास के साथ गंगा में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं कार्तिक पूर्णिमा का महत्व वेद और शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है कहा जाता है कि आज साल की किसी भी पूर्णिमा को गंगा स्नान ना करें लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के स्नान करने से पूरे साल की पूर्णिमा का महत्व फल मिलता है गंगा नदी के साथ-साथ आप किसी भी तीर्थ स्थान पर गंगा स्नान कर सकते हैं जैसे : इलाहाबाद, हरिद्वार, अयोध्या , काशी ,बनारस आदि स्थानों पर गंगा स्नान कर सकते हैं ।

मां गंगा कैसे आई धरती पर

क्यों भोलेनाथ ने उन्हें अपनी जटा में बांधा है ग्रंथ शास्त्रों में बताया जाता है कि पहले गंगा देवलोक में रहा करती थी हमारे हिंदू पुराणों में मां गंगा को देवनदी भी कहा जाता है ।

हम बताते हैं कि भगवान शंकर ने अपनी जटा में मां गंगा को क्यों बांधा कथाओं में मां गंगा का व्याख्यान निम्न प्रकार से दिया गया है कहा जाता है गंगा नदी को भारत में सबसे सर्वप्रथम नदी बताया गया है गंगा एक जल का स्रोत ही नहीं बल्कि हिंदू   के लिए मां गंगा गंगा मां कही जाती है मां गंगा हम सबके लिए पूजनीय है भागीरथ के तप से मां गंगा धरती पर आई हिंदू पंचांग के अनुसार बताया जाता है कि ।

भागीरथी नाम से एक राजा राज्य करते थे और वे अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करना चाहते थे इसलिए उन्होंने मां गंगा की धरती पर लाने के लिए कठोर तप किए परंतु मां गंगा देवलोक छोड़कर धरती पर नहीं आना चाहते थे परंतु भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न और धरती पर आने के लिए तैयार हुए  भागीरथ से कहा कि हमारे जल का बहाव इतना तेज है कि मैं धरती पर जाऊंगी तो इधर से गुजरूंगी उधर से रसातल में चली जाऊंगी तब ब्रह्माजी ने भागीरथ से कहा कि अब तुम भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करो तब भागीरथ भोलेनाथ की तपस्या करके भोलेनाथ उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तब भगवान भोलेनाथ से पृथ्वी को बचाने के लिए गंगा की धाराओं को अपने जुड़े में बांध लिया शास्त्रों में बताया गया इसलिए भी भोलेनाथ का एक नाम बताया गया कि तब से भोलेनाथ का एक नाम गंगाधर पड़ गया और  तभी से मां गंगा को भागीरथी गंगा के नाम से जाना जाता है और आगे आगे भागीरथी और पीछे पीछे मां गंगा वही पहुंची जहां भागीरथ के पूर्वज थे और उनके पूर्वजों का उद्धार कर चली गई और वहां पर आज भी बहुत बड़ा मेला लगाया जाता है और उसे गंगासागर के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि ।

सब तीरथ बार बार गंगासागर एक बार मां ।

गंगा की महिमा बहुत ही निराली है मां गंगा का जल कई वर्षों तक किसी थरमस या बोतल में भर कर रखो पर उसमें कभी कीड़े नहीं पड़ते हैं गंगा स्नान करने के बाद गंगा के किनारे बैठे हुए गरीब और गोस्वामी को दान जरूर करना चाहिए क्योंकि दान से हमारे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और कहा जाता है कि जब हमारे शरीर का अंत हो जाता है तब हमारी आत्मा के साथ-साथ दान ही हमारे साथ जाता इसलिए गंगा स्नान करने के बाद दान जरूर देना चाहिए ।

दान किस चीज किस चीज का देना चाहिए

कहा जाता है कि गंगा स्नान करने के बाद खिचड़ी का दान करना शुभ माना जाता है कि चढ़ी का दान करना चाहिए और गंगा के किनारे खिचड़ी और दही खाना भी चाहिए और हाथ में कुश और गंगा जल और पैसे का दान करना चाहिए अगर आप खिचड़ी का दान नहीं कर सकते तो फल मिठाई वस्त्र का भी दान करना महत्वपूर्ण माना जाता है ।

मां गंगा की पूजा कैसे करनी चाहिए बालू से 7 या 5 चौके बनाकर खीर पूरी बतासे घी गुड  सिंदूर आदि से पूजन करना चाहिएऔर धूप दीप जलाकर मां को प्रणाम करना चाहिए और मां गंगा के दर्शन करना चाहिए और अपने द्वारा किए गए अपराधों की क्षमा मांगनी चाहिए।

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