डिजरजेंट पाउडर के कारोबार से तकदीर चमका रहीं गीता
रायबरेली। पति की कमाई पर आश्रित रहने वाली महिलाओं की जिंदगी में स्वयं सहायता समूह बड़ा परिवर्तन लाया है। महिलाएं अब खुद की मेहनत से परिवार की तकदीर संवारने रही हैं। स्वयं का रोजगार शुरू होने से आधी आबादी का आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें आमदनी का मजबूत जरिया भी मिला है।
डलमऊ के कंधरपुर की गीता का परिवार खेती किसानी पर ही आश्रित था। महंगाई के कारण परिवार का खर्च चलाने में परेशानी आने लगी तो गीता ने स्वयं का रोजगार शुरू करने का मन बनाया और गांव की महिलाओं से चर्चा की। दिसंबर 2020 में 10 महिलाओं के साथ मिलकर लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह का गठन किया। सभी ने मिलकर 50-50 रुपये की बचत करना शुरू किया। इसी बीच आजीविका मिशन के ब्लाॅक प्रबंधक विवेक त्रिवेदी ने महिलाओं से मुलाकात की और रोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से डिटर्जेंट पाउडर बनाने का प्रशिक्षण दिलाया।
आजीविका मिशन से सामुदायिक निवेश निधि से 35 हजार रुपये का ऋण दिलाया। पैसा मिलने के बाद महिलाओं ने डिटर्जेंट पाउडर बनाने का काम शुरू किया। यह डिटर्जेंट पाउडर जिले के अलावा फतेहपुर के व्यापारियों को भी खूब भा रहा है। समूह की अध्यक्ष गीता ने बताया कि एक किलो डिटर्जेंट पाउडर बनाने में करीब 38 रुपये का खर्च आ रहा है। बाजार में यह थोक भाव में 55 रुपये में बिक रहा है। समूह की हर सदस्य प्रतिमाह सात से आठ हजार रुपये की आमदनी कर रही हैं।
