शब्दों की उड़ान: बेनीकोपा के अभय प्रताप सिंह की “लेखनशाला” बनी साहित्य प्रेमियों की नई पहचान
श्री डेस्क /रायबरेली : रायबरेली जनपद के छोटे से गांव बेनीकोपा (कबीरवैनी) से निकलकर साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे युवा लेखक अभय प्रताप सिंह की संस्था “लेखनशाला – शब्दों की उड़ान” आज साहित्यिक मंचों पर चर्चा का विषय बनी हुई है। यह संस्था बिना किसी भेदभाव के नवोदित और वरिष्ठ दोनों प्रकार के साहित्यकारों को मंच प्रदान कर रही है, जहां वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित करवा सकते हैं।
अभय प्रताप सिंह का मानना है, “मुझे हमेशा से समाज और देश के लिए कुछ सार्थक करने की चाह रही। जीवन में जब दिशा स्पष्ट नहीं थी, तब साहित्य ने रास्ता दिखाया। यही वजह रही कि मैंने अपने आठ वर्ष साहित्य को समर्पित किए और कई किताबें भी लिखीं।”
उनकी लेखनी के पीछे छुपा उद्देश्य केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि संवेदना को साझा करना है। वे कहते हैं, “छोटे बच्चों की मासूमियत, बुजुर्गों की तकलीफें, भूख और बेबसी से जूझती जिंदगी—इन सभी कहानियों ने मुझे झकझोरा और साहित्य की ओर खींच लिया।”
इन्हीं अनुभवों ने उन्हें “लेखनशाला” की स्थापना के लिए प्रेरित किया। वे अपनी जमा पूंजी लगाकर आज उन सभी चेहरों तक पहुंचना चाहते हैं जो लिखना तो चाहते हैं, पर मंच की कमी से दबे हुए हैं। अभय जी का स्पष्ट उद्देश्य है: “मैं आपके दुखों में साझेदार नहीं, बल्कि आपकी खुशियों का जरिया बनना चाहता हूं।”
लेखनशाला आज सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि एक परिवार है – हर उस रचनात्मक आत्मा के लिए जो अपने शब्दों को उड़ान देना चाहती है।
