पौराणिक नदी के अस्तित्व खतरे में : अशोक कुमार गौतम

Raebareli:गोस्वामी तुलसीदास ने विश्वपूज्य ग्रंथ श्री रामचरित मानस में सई नदी के पौराणिक महत्व का उल्लेख करते हुए लिखा है-

सई उतरि गोमतीं नहाए। चौथें दिवस अवधपुर आए॥

रायबरेली के शहीद स्मारक मुंशीगंज के पास टूटा पुल ब्रिटिश काल में अंग्रेजों की क्रूरता और 7 जनवरी सन 1921 को सैकड़ो किसानों के त्याग और बलिदान की याद दिलाता है। इसी टूटा पुल के पास सई नदी में बहुत ज्यादा जलकुंभी काफी समय से एकत्रित हो रही है। जिसकी सड़न से आसपास भयंकर बदबू होती रहती है।

यह जलकुंभी टूटे पुल के खम्भों को भी घुन की तरह खोखला करने में लगी हुई है। नगर पालिका, शासन, प्रशासन ने 15 अगस्त को 77 वाँ स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाते हुए भारत माता के मंदिर और शहीद स्मारक पर शहीदों को नमन किया, किंतु किसी भी अधिकारी या नेताओं की नजर इस जलकुंभी की ओर नहीं गई?

यदि समय रहते यह जलकुंभी नदी के मध्य भाग व तटों से न हटाई गई तो शहीद स्मारक आने वाले प्रतिदिन सैकड़ो लोग बीमारी का शिकार हो सकते हैं। यह पावन भूमि आध्यात्म और क्रांति का संगम है। फिर भी नदी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए बदहाली के आँसू बहा रही है। क्योंकि इस जलकुंभी से नदी के दोनों तट सिकुड़ते जा रहे हैं। यदि समय रहते इस ओर ध्यान न दिया गया तो शनैः शनैः जलकुंभी से नदी विलुप्त होने लगेगी।

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