घटता जनाधार : उदय राज वर्मा उदय
अमेठी : हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी चार राज्यों में बहुमत प्राप्त कर अपनी सरकार बनाने जा रही है। उत्तर प्रदेश में तो तीन दशक से अधिक का रिकॉर्ड तोड़ कर पुनः पूर्ण बहुमत में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की है। पांच साल में भारतीय जनता पार्टी के किए गए विकास कार्यों और गुंडाराज भ्रष्टाचार समाप्त करने के बाद जनता ने पुनः सत्ता सौंपी है लेकिन जब जनता प्रदेश सरकार का कार्य देख लिया उसके बाद भी प्रदेश सरकार को पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार 57 सीटें खोनी पड़ी है। और सबसे बड़ी बात तो ये है कि इन 57 सीटों में 11 प्रदेश सरकार के बीजेपी के दिग्गज नेता और स्टार प्रचारक व उप मुख्यमंत्री महोदय के साथ सत्ता के 10 मंत्रियों की सीटें शामिल हैं। क्या जो 11 मंत्रियों ने सत्ता खोई है उनसे उनके विधानसभा क्षेत्र की जनता संतुष्ट थी। इतना ही सात सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार 2000 से भी कम वोटों से विजय पाई है।
अन्य प्रांतों में की बात करें गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत बामुश्किल से सीट बचा सके और उनके दोनों सहयोगी यानि उपमुख्यमंत्री मनोहर अजगांवकर वो चंद्रकांत कवलेकर को पराजय का सामना करना पड़ा।
अगर उत्तराखंड की बात करें तो वहां भी बीजेपी को मुख्यमंत्री सहित पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा 7 सीटें खोनी पड़ी है।
पांच साल तक शासन करने, विपक्ष के पास खास चेहरा न होने और देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, विदेश मंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों व विभिन्न प्रांतों के मुख्यमंत्रियों के चुनाव प्रचार जनसभा करने के बावजूद अगर बीजेपी की सीटों का ग्राफ घटता है और मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री को सीटें गंवानी पड़ रही है तो इसका मतलब जनता में बीजेपी सरकार के प्रति असंतोष बढ़ रहा है और उसका जनाधार घट रहा है। उसे अपनी नीतियों में बदलाव लाना चाहिए।