दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसका महत्त्व क्या है | Why do we celebrate Diwali Festival in hindi

हर साल दिवाली या दीपावली क्यों मनाई जाती है, महत्त्व व इतिहास (दिवाली क्यों मनाते हैं) (Why we Celebrate diwali Festival, history, reason, importance in hindi)

क्यों होती है दीपावली के दिन गणेश लक्ष्मी की पूजा ।बताया जाता है कि सतयुग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था और भगवान श्रीराम ने दशमी को रावण का संहार करके लंका पर विजय प्राप्त की थी और अमावस्या के दिन 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए थे जिसकी खुशी में घर-घर दीप जलाए थे नगर में घर-घर दीप जलाए गए थे और बताया जाता कि द्वापर में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था और जो कि तारकासुर का वध उन्होंने किया था क्योंकि तारकासुर के अत्याचार से सभी नगर वासी बहुत ही परेशान थे इसलिए अमावस्या का तारकासुर का वध हुआ था इस खुशी में नगर वासियों ने घर-घर दीप जलाए थे दीप उत्सव मनाया था और  उसी दिन मातालक्ष्मी माता धनवंतरी के समुद्र मंथन होने पर लक्ष्मी माता और धन्वंतरी माता कुबेर महाराज जी समुद्र से प्रकट हुए थे जिसकी खुशी में घर-घर दीप उत्सव आनंद मनाया गया था।

क्यों होती है गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ

हिंदू धर्म के पौराणिक कथाओं में  कथा का महत्व और वर्णन है कथा के अनुसार बताया गया है कि एक वैराग्य साधु के मन में राजभोग करने की इच्छा जागृत हो गई और वह माता लक्ष्मी की पूजा और उपासना करने लगा फिर माता लक्ष्मी उस साधु की तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हुई वह साधु के सामने प्रकट हुई तब उस साधु ने माता लक्ष्मी से राज सुख वरदान मांगा माता लक्ष्मी उसे तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए तब उस साधु को अहंकार आ गया और वह अपने वरदान के अहंकार में राजा के दरबार में पहुंच गया और उसने राजा को सिंहासन से धक्का देकर नीचे गिरा दिया यह सब देखकर राजा के सभी दरबारी बहुत आश्चर्यचकित हो गए और कहने लगे कि कहीं यह साधुपागल तो नहीं हो गया है  यह देखकर सैनिकों ने बहुत ही संदेह जताया और सभी दरबारी गुस्से के मारे लाल हो गए तभी सभी सैनिकों ने देखा तो उनके आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा और उनकी आंखें फटी की फटी रह गई।

गुस्से में के मारे उस साधु को कुछ कह पाते कि राजा का मुकुट राजा के सिर से जमीन में गिर गया था वह मुकुट जमीन में गिर गया था तभी देखा कि  उस मुकुट से एक बहुत ही विशाल जहरीला काला सर्प निकला यह देखकर सभी दरबारी आश्चर्यचकित रह गए और राजा भी बहुत ही खुश हुए यह देखकर कि अगर यह साधु हमें जमीन पर गिरा दीयाथा और मेरा मुकुट जमीन पर ना गिरता  तो आज यह सर्प मुझे काट लेता यह सब देख कर के राजा ने  और उसके दरबारी उस साधु की जय-जयकार करने लगे.

तब राजा उस साधु को अपना मंत्री नियुक्त कर लिया और सैनिकों से कहकर उस साधु के लिए एक बहुत ही बड़ा महल बनवा दिया जिसमें वह साधु बड़े ही आराम के साथ रहने लगा तब राजा ने कहा कि हे साधु आज मैं आपके कारण ही जीवित हूं नहीं तो यह काला नाग मुझे डस लेता और मैं मर जाता एक दिन राजा अपने महल में सभी सैनिकों के साथ विचार पर चर्चा कर रहे थे कि वह साधु राजा का हाथ पकड़कर उन्हें बाहर ले आया यह देखकर सभी बहुत ही आश्चर्य पड़ गए और सभी सैनिक दरबारी राजा के पीछे पीछे चल दिए जैसे राजा और दरबारी बाहर निकले ही थे कि राजा का महल अचानक गिर गया और  एक बार फिर उस साधु ने राजा और दरबारियों के प्राण बचाए राजा बहुत प्रसन्न हुआ उस साधु ने राजा के प्राण बचाए राजा बहुत प्रसन्न है और उस साधु की बहुत ही की प्रशंसा की जिसके करने के कारण उस साधु को अभिमान आ गया फिर राजा जितनी बार उस साधु की प्रशंसा करते थे उतनी बार ही वह अपने द्वारा माता लक्ष्मी द्वारा दिए गए वरदान  पर उसकी और भी अभिमान आ जाता था और अभिमान बढ़ जाता था.

उस साधु ने सैनिक से कहा कि इस   गणेश भगवान की मूर्ति को यहां से उठाकर बाहर फेंक दो क्योंकि यह मूर्ति आलीशान महल में अच्छी नहीं लगती तब गणेश भगवान  बहुत ही रुष्ट हो गए और इस घटना से गणेश भगवान की कृपा राजा से हट गयी।  उस दिन से वह साधु जो भी कार्य राजा के लिए यह महल के लिए दरबारियों के लिए करता था वह सब उल्टा का पुल्टा हो जाता था इससे राजा को बहुत क्रोध आया और उसने उस साधु को कारागार में डाल दिया   साधु कारागार में बंद हो गया.

तब उसे कारागार के अंदर फिर से माता लक्ष्मी की आराधना और उपासना की जिसके द्वारा की गई उपासना से माता लक्ष्मी अति शीघ्र प्रसन्न हो गई और उसने साधु से कहा क्या वरदान मांगते हो साधु ने कहा कि   माता लक्ष्मीहमें तो राजयोग मिलना चाहिए था फिर कारागार कैसे मिला माता लक्ष्मी ने कहा कि तुमने गणेश भगवान का अपमान किया है क्योंकि गणेश भगवान तुम पर बहुत रूस्ट हैं और तुम उन्हीं की पूजा और उपासना करो वही तुम्हारा कल्याण कर सकते हैंफिर उसने गणेश भगवान की पूजा की और उपासना की गणेश भगवान उसके द्वारा की गई.

उपासना और पूजा से अत्यंत प्रसन्न हो गए और उन्होंने राजा के स्वप्न में जाकर कहा कि  हे राजा वह साधु  निर्दोष है तुम इसे अपना मंत्री पुनः बना लो दूसरे दिन राजा ने भगवान के द्वारा सपने में की गई बात के अनुसार राजा ने दूसरे दिन उस साधु को कारागार से बाहर निकाल लिया और उसे फिर अपना मंत्री बना लिया है कहा जाता है कि तब से मात के माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है क्योंकि सुख शांति के देवता गणेश और धन की लक्ष्मी देवी और धन मंत्री हैं इसलिए उस दिन गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है घर-घर खुशी के दीप इसलिए जलाए जाते हैं उसी दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास पूरा करके घर वापस आए थे और भगवान श्री कृष्ण ने उसी दिन तारकासुर का वध किया था इस कारण यह तीनों पर्व एक ही दिन एक ही तिथि में हुए थे इसलिए तीनों एक ही दिन मनाए जाते हैं ।

हास्य कथा

हास्य कथा कहा जाता है कि माता लक्ष्मी दीपावली के दिन हर घर जरूर से जरूर जाती है धनतेरस से लेकर के दीपावली के दिन तक माता लक्ष्मी के घर में पूजा इसलिए की जाती है कहा जाता है कि धनतेरस से लेकर दीपावली के दिन तक माता हर घर में 24 घंटे में एक बार जरूर आती है औरकाफी बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए माता का वाहन उल्लू है दीपावली का त्यौहार आया उस दिन उल्लू माता लक्ष्मी को अपनी पीठ पर सवार करके हर घर ले जाता था और देखता था कि मैं तो बाहर बैठा रहता हूं और माता लक्ष्मी की तरह तरह से पूजा होती है मिठाई चढ़ाई जाती है औरवस्त्र चढ़ाते  कमल का फूल आदि चढ़ाकर के माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

यह देखकर उल्लू को बहुत ही गुस्सा आया उसने सोचा कि सबके वाहन की पूजा होती है हंस की पूजा होती है बैल की पूजा होती है नाग की पूजा होती है जिस पर भगवान विष्णु विराजमान होते हैं उसकी पूजा होती है फिर मेरी पूजा क्यों नहीं होती इतना कहकर उल्लू माता लक्ष्मी को पूरे पृथ्वी लोक का भ्रमण कराने के बाद जब बैकुंठ लोक पहुंचता है तो माता लक्ष्मी को लगता है कि आज उल्लू देव बहुत ही नाराज हैं तो माता लक्ष्मी ने पूछा कि इस समय  तुम इतना क्रोधित क्यों हो  तब उसने कहा कि हे मां हर सवारी की हर वाहन की तो पूजा होती है और मैं अगर आपको हर घर अपनी पीठ पर बिठाकर ना ले जाऊं तो आप किसी भी घर में नहीं पहुंच सकती अगर जाएंगी भी तो 24 10 घर ही पहुंच सकती बाकि पूरा पृथ्वी लोक का भ्रमण नहीं कर सकते माता आपकी पूजा होती है सब वाहन की पूजा होती है मेरी पूजा क्यों नहीं होती तब माताजी ने कहा हां वत्स यह बात तो सही है यह तो हमने सोचा ही नहीं था ठीक है मैं आज कहती हूं कि आज से ठीक दीपावली से ठीक 12 दिन पहले तुम्हारी पूजा होगी मेरे दोस्तों मेरे भाइयों आप लोग बताइए कि 12 दिन पहले कौन सी पूजा होती है जय माता लक्ष्मी?

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