आयुर्वेद का आज से नहीं आदिकाल से महत्व है : राजकुमार
नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में की 55 रोगियों की जांच,दी दवाएं
शिवगढ़,रायबरेली। क्षेत्र के मठ मजरे दहिगवां गांव के रहने वाले नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य राजकुमार यादव जड़ी बूटियों एवं आयुर्वेदिक दवाओं से पुराने से पुराने असाध्य रोगों से ग्रसित सैकड़ों मरीजों को सही करके उन्हें नया जीवनदान दे चुके हैं। जिन्होंने कोरोना महामारी के संकटकाल में कॉविड-19 के नियमों का पालन करते हुए लोगों को सर्दी, खांसी, जुकाम एवं कोरोना महामारी से बचाने के लिए जड़ी बूटी एवं आयुर्वेदिक दवाओं से क्षेत्र के लोगों, पुलिस कर्मियों, पत्रकारों, समाजसेवियों एवं समाज के कर्णधारों की नि:शुल्क दवाएं देकर इम्यूनिटी क्षमता बढ़ाने का सराहनीय कार्य किया था जिसके लिए उन्हें रायबरेली ही नहीं लखनऊ जनपद में भी उन्हे सम्मानित किया गया था। राजकुमार यादव का कहना है कि आयुर्वेद का आज से नहीं आदिकाल से महत्व है। साक्ष्य के तौर पर जिसका महत्व वेदों पुराणों में मिल जाएगा। जड़ी बूटियों में वह शक्ति है जो महिलाओं के बांझपन, पथरी, पुरुषों की नपुंसकता, सफेद दाग, पीलिया, सरदर्द,कमर दर्द,सर्दी,खांसी, जुखाम,बुखार, गठिया बाई,बदहजमी,थायराइड, सर्वाइकल, सफेद पानी सहित सैकड़ो बीमारियों से निजात दिला सकती है। राजकुमार अपने पिता वैद्य एसएल शास्त्री के पद चिन्हों पर चलते हुए पिछले डेढ़ दशक से रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ, अमेठी, बाराबंकी में नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का आयोजन करके पुराने से पुराने रोगियों को निरोगी बनाने का काम कर रहे हैं। नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर के तहत बुधवार को राजकुमार ने गोसाईगंज में 55 रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाएं दी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक इलाज एलोपैथिक से कई गुना सस्ता पड़ता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हर दिन सुबह 7 से 10 बजे तक घर में रहकर मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं दोपहर बाद आस पास के जनपदों में निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन करके बगैर एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन के नाड़ी से मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को लेकर ठोस कदम उठाने चा
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी