शिवगढ़ में शुरू हुई अगेती धान की रोपाई
कृषि सूचना तंत्र में विस्तार बना उन्नतशील खेती का राज
शिवगढ़ (रायबरेली) क्षेत्र के जगदीशपुर,भवनपुर में अगेती धान की रोपाई शुरु हो गई है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। भवनपुर के रहने वाले प्रगतिशील कृषक नन्दकिशोर तिवारी पिछले कई दशक से क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हुए हैं जिनके खेत में हर साल सबसे पहले धान की रोपाई शुरु हो जाती है। किसान जिनसे कृषि संबंधित नई – नई जानकारियां लेते रहते हैं। नन्दकिशोर तिवारी कृषि की नवीनतम तकनीकियों को जुटाकर हमेशा अधिकतम उत्पादन के लिए प्रयासरत रहते हैं। जिनका मानना है कि परंपरागत खेती को अपनाकर आय को कभी दोगुना नहीं किया जा सकता। जिसके लिए किसान भाइयों को स्वयं जागरूक होना होगा। सरकार द्वारा संचालित योजनायों की नवीनतम जानकारियों को जुटाकर नवीनतम् तकनीकी से खेती करके कृषि उत्पादन को बढ़ाकर आसानी से अपनी आय को दोगुना करने के साथ ही समाज में सम्मानजनक जिंदगी जी जा सकती है। वहीं जगदीश के रहने वाले प्रगतिशील कृषक अंजनी अग्निहोत्री का मानना है कि परंपरागत खेती और तकनीकी खेती का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक समय ऐसा था जब खेतों में उत्पादित फसल से साल भर की खानगी भी नही होती थी। पिछले कुछ वर्षों में जब से किसानों ने कृषि तकनीकी एवं उन्नतशील बीजों और कृषि रसायनों का प्रयोग शुरू किया है तब से कृषि उत्पादन में कई गुना वृद्धि होने के साथ ही किसानों की आय और सम्मान में वृद्धि हुई है। शिवगढ़ नगर पंचायत के भवनपुर व ग्राम पंचायत जगदीशपुर में हो रही धान की रोपाई दिन भर राहगीरों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। हर किसी के मुख से यही निकल रहा था कि इसे कहते हैं अगेती खेती। अंजनी अग्निहोत्री की मानें तो सरकार ने कृषि को सुदृढ़ीकरण करने के लिए कृषि सूचनातंत्र काफी विस्तार किया है। जिसके चलते कृषि से जुड़ी जानकारियां न्याय पंचायत स्तर पर होने वाली किसान पाठशालाओं, गोष्ठियों, किसान मेलो व राजकीय बीज भण्डार से आसानी से मिल जाती है। वहीं कसना गांव के रहने वाले प्राकृतिक कृषक शेषपाल सिंह ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि धान के उत्पादन में आने वाली लागत को कम करने के लिए किसान भाई प्राकृतिक खेती अपनाएं, एक देसी गाय से किसान भाई 30 एकड़ तक रसायन मुक्त खेती कर सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि प्राकृतिक खेती से उत्पन्न अनाज खाने में स्वास्थ्य से भरपूर एवं सेहत के लिए लाभदायक रहेगा। उन्होंने अपनी पूर्व की यादें ताजा करते हुए कहा कि पहले धान की बादशाह किस्म खेत में लगाने पर जब धान पकता था उसकी महक आस-पास फैल जाती थी, उस महक को रासायनिक खादों एवं रासायनिक कीटनाशकों ने नष्ट कर दिया है। अब तो चावल हाथ में लेने पर भी उसकी महक नहीं आती। अगर उस महक को फिर से हासिल करना है तो किसान भाई प्राकृतिक खेती अपनाएं।
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी