रायबरेली : सब पढ़े अभियान की शुरुआत
बछरावां-छोटे-छोटे बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए सरकार ने शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार भले दिया हो परंतु इसके बावजूद आज भी कस्बे में बहुतेरे बच्चे स्कूल जाने के बजाय सड़क, रेलवे स्टेशन सहित बाजारों में भीख मांगते व पालीथिन बिनते देखे जा रहे है। गौरतलब हो कि सरकार बच्चों को शिक्षा की ओर उन्मुख करने के लिए सभी संसाधन युक्त विद्यालय,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,पुस्तकालय, खेलकूद सामग्री की पूर्ण ब्यवस्था,निशुल्क पाठ्यपुस्तकें,भोजन,जूता, मोजा, बैग,एवम यूनिफार्म आदि योजनाओं का लाभ दिला रही है।
विद्यालय से बाहर रहने वाले ऐसे बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए सरकार प्रति वर्ष लाखों रुपये खर्च करती है। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि सारी कवायद के बावजूद आज भी बहुत सारे बच्चे स्कूल जाने के बजाय इधर उधर कूड़ा करकट बिन कर व भीख मांग कर अपना पेट भर रहें है।बछरावां-लालगंज रेलवे क्रांसिंग पर इस प्रकार के कई बच्चे क्रॉसिंग बंद होने पर गाड़ियों के पास आकर भीख मांगना शुरू कर देते है।आश्चर्यजनक यह कि इन गाड़ियों में उच्चाधिकारियों एवम स्थानीय अधिकारियों की भी गाड़ी होती है लेकिन किसी के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
जबकि स्कूल नहीं जाने वाले छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए शासन द्वारा कई प्रकार के अभियानों को संचालित किया जा रहा है। ज्ञात हो कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत शिक्षा छह से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। ऐसे में छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को चिह्नित कर स्कूलों में पंजीकरण कराना और शत प्रतिशत स्कूलों में ठहराव कराना शासन की प्राथमिकताओं में है।