कई माह से महिला चिकित्सक हैं नदारद कागजों पर हो रहा भुगतान

रिपोर्ट – निशांत सिंह 

  • नसीराबाद में स्वास्थ्य सेवाएं हुए रामभरोसे जिम्मेदार मौन
  • स्वास्थ्य महकमे के पोल खोल रहा सीएससी नसीराबाद अस्पताल

नसीराबाद रायबरेली/आम आदमी का अधिकार होता है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर इलाज मिले जिसे लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे भी करती है वहीं स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधा को लेकर सूबे के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक अस्पतालो का बराबर निरीक्षण भी करते आ रहे हैं फिर भी कुछ अस्पताल के जिम्मेदार हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला सीएससी नसीराबाद का प्रकाश में आया है जहां वर्षों से महिला डॉक्टर अंकिता आचार्य व दो नर्स नदारद होने के कारण मरीज तीमारदार गर्भवती महिलाएं बेहतर इलाज के आभाव मेंं इधर उधर भटकने को मजबूर हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नसीराबाद में चिकित्सकों की मनमानी से स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से बे पटरी हो चुकी है जिससे प्रशव आदि के लिए महिलाओं को जिला अस्पताल या प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ रहा है वही बात करें सीएससी नसीराबाद में महिला चिकित्सक की यहां महिला चिकित्सक अंकिता आचार्य व मिथिलेश सिंह नर्स कई माह से लगातार नदारद चल रही हैं वहीं सूत्रों की माने तो महिला चिकित्सक व नर्स मिथिलेश सिंह कई महीनों से नदारद रहने के बावजूद भी उनका बराबर वेतन जारी हो रहा है महिला चिकित्सक की कारनामों की करतूत सामने आ गई वहीं विभागीय सूत्र बताते हैं कि महिला चिकित्सक अंकिता अचार्य व नर्स मिथिलेश सिंह करीब 6 माह से सीएससी नसीराबाद से नदारद चल रही है लेकिन चिकित्सक के प्रजेंट रजिस्टर देखेंगे तो सीएससी में होने की उपस्थित महिला चिकित्सक अंकिता आचार्य व मिथिलेश सिंह के हस्ताक्षर सहित बराबर मिलेंगे वही जमीनी हकीकत में महिला चिकित्सक के कच्छ पर ताला लटकता रहता है विभागीय सूत्र यह भी बताते हैं कि गर्भावस्था महिलाएं प्रसव कराने आती हैं वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं के जानकारी के अभाव को लेकर पूर्व समय में प्रशव के दौरान कई नवजात शिशुओं की मृत्यु भी हो चुकी है इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग कुंभकरण की नींद से जागने को तैयार होता नहीं दिखाई दे रहा है सीएससी नसीराबाद में चिकित्सकों की मनमानी से कहीं ना कहीं सीएससी अधीक्षक की अहम भूमिका साफ दिखाई दे रही है सवाल यह भी उठता है कि सीएससी अधीक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अधीक्षक की कार्यशैली पर भी एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।

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